गाजीपुर में अल्पसंख्यक विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 128 मदरसे संचालित हो रहे हैं, जिनमें 23 मदरसे सरकार द्वारा एडेड है। जिनमें छात्रों को बेहतर शिक्षा उपलब्ध कराने के मकसद से टीचरों को सरकार द्वारा वेतन उपलब्ध कराया जा रहा है। लेकिन यहां मैथ इंग्लिश जैसे महत्वपूर्ण विषय के टीचर के ज्ञान और बच्चों को दी जा रही शिक्षा की पोल खुल गई।
मदरसा मोहसिनुल उलूम, सकलेनाबाद के प्रिंसिपल हैदर अली ने बताया कि 2010 में हमारे मदरसे को ग्रांट मिली। लेकिन वर्तमान में काफी महीनों से शिक्षकों को केंद्र सरकार द्वारा वेतन की धनराशि उपलब्ध नहीं कराई गई है। उन्होंने दावा किया कि मदरसे में सरकार द्वारा निर्देशित सभी विषयों की अच्छी पढ़ाई कराई जा रही है।
मोहम्मद सलीम से बातचीत की गई
उनके दावे की हकीकत जानने के लिए मदरसे में तैनात मैथ और इंग्लिश पढ़ाने वाले टीचर मोहम्मद सलीम से बातचीत की गई। उन्होंने बताया कि कक्षा 8 तक बच्चों को 15 तक के टेबल याद कराए जाते हैं। यह अलग बात रही कि पुछे जाने पर खुद मोहम्मद सलीम 13 का पहाड़ा मुकम्मल नहीं सुना पाए।
मदरसों में शिक्षा का मजाक बन रहा
ऐसे में मदरसे के अंदर चल रही शिक्षण व्यवस्था और छात्रों के शैक्षिक विकास का अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। जहां अयोग्य टीचर एडेड मदरसों में शिक्षा का मजाक बना रहे हैं। इधर जिला अल्पसंख्यक अधिकारी प्रभास कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा निर्देशित सर्वे के लिए अलग-अलग टीमें बनाई गई हैं। जो निर्धारित बिदुओं पर मदरसों की रिपोर्ट तैयार कर रही है।