तहसील परिसर में कर्मचारियों व उनके परिवारों के लिए दशकों पहले बने दो मंजिला आवास जर्जर हो चुके हैं। सीलिंग जगह-जगह क्षतिग्रस्त है। दरवाजे-खिड़कियां उखड़ रहे हैं। फर्श और दीवारों के दम तोड़ने से उनमें रहना कर्मचारियों के लिए खतरे का सबब बना हुआ है।
सैकडों वर्ष पहले जमानियां तहसील की स्थापना के साथ ही परिसर में विभिन्न जगहों पर दर्जनों कर्मचारियों, अधिकारियों के आवासों का निर्माण किया गया था। पप्पू यादव, पेवारु कुशवाहा, संजय जायसवाल, दयाशंकर, उद्धव पांडेय, राजाराम आदि लोगों ने बताया कि निर्माण के दशकों बाद जिम्मेदारों के द्वारा मरम्मत और देख-रेख के अभाव में आवास जर्जर हो चुके हैं।देखने में खंडहर जैसे प्रतीत होते इन आवासों में रहना जोखिम भरा है।
जर्जर भवनों के मरम्मत व पुननिर्माण के लिए 10 वर्ष से भेजा जा रहा प्रस्ताव
लोगों ने बताया कि इन जर्जर भवनों के मरम्मत व पुननिर्माण के लिए पिछले दस वर्ष पहले लाखों का प्रस्ताव अधिकारियों के माध्यम से शासन को भेजा गया। मगर हरी झंडी न मिलने से भवन अभी जर्जर हालत में बने हुए है। कब धराशायी हो जाए ,कुछ कहा नहीं जा सकता,लोगों ने बताया कि भविष्य में कभी भी बड़ा हादसा होने से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
हल्की सी बरसात में ही छत टपकने लगती है
लोगों ने बताया कि कर्मचारियों के मन में हर समय भय बना रहता है कि कहीं आवास धराशायी ना हो जाए। हल्की सी बरसात में ही छत टपकने लगती है। पूरा परिसर पानी से भर जाता है। ऐसे समय में आवासों से निकलना भी दुश्वार रहता है।लोगों का कहना है कि आवास पूरी तरह से जर्जर हो गया है, इसको ध्वस्तीकरण कराकर पुन:नया आवास बनाया जाए।
सीडीओ श्रीप्रकाश गुप्त ने बताया कि जल्द जर्जर भवनों का सर्वे करा,उनके मरम्मत व निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेंजा जायेगा।