इन दिनों यमुना उफान पर है। ताजमहल के पीछे पानी भरपूर मात्रा में है। इससे स्मारक को संजीवनी मिल गई है। इससे ताज की बुनियाद में लगी साल की लकड़ियों में नमी रहेगी। वहीं पानी की भरपूर मात्रा होने के चलते मुख्य गुंबद पर चौकसी बढ़ा दी गई है। पर्यटकों को किनारे जाने से रोकने के लिए सुरक्षाकर्मी लगातार अलर्ट कर रहे हैं।
ताजमहल को खास वास्तुकला की वजह से यमुना नदी से सटाकर बनाया गया था। दरअसल, ताज की नींव में 64 कुएं हैं। इमारत का पूरा वजन इन कुओं पर टिका है। ताज के निर्माण के वक्त इन कुओं में साल की लकड़ियों के लट्ठे डाले गए थे। कुओं को इस तरह बनाया गया था कि यमुना के पानी से इन्हें नमी मिलती रहे। अंदर की लकड़ी को जितनी नमी मिलेगी, वह उतनी ही मजबूत रहेंगी। इससे ताजमहल की नींव भी मजबूत बनी रहेगी।
इसी को देखते हुए शाहजहां ने ताजमहल का निर्माण यमुना किनारे कराया था। उस समय स्मारक की बुनियाद से सटकर यमुना बहा करती थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में यमुना 50 मीटर दूर चली गई। पानी नहीं होने से ताज की बुनियाद पर खतरा बढ़ता जा रहा था। पानी की कमी के चलते यमुना की रेत (बालू) के कण स्मारक तक पहुंच रहे हैं, जिससे भी खतरा पैदा हो रहा है।
रबर चेक डैम
यमुना में पानी बढ़ने से स्मारक की बुनियाद को काफी फायदा होगा। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ने भी ताजमहल से कुछ दूरी पर ही रबर चेक डैम बनाने की घोषणा की है। हालांकि इसका काम अभी तक शुरू नहीं हो पाया है।
लकड़ी की जांच कराकर ली थी जानकारी
ताज पर लंबे समय तक वरिष्ठ संरक्षण सहायक के पद पर तैनात रहे डॉ. आरके दीक्षित का कहना है कि बुनियाद में 64 कुएं हैं। इनके चारों ओर साल, महोगिनी, आबूनस की लकड़ियां लगी हैं, जिन्हें नमी की जरूरत रहती है। जब ताजमहल को बनाया जा रहा था तब उसकी उम्र 450 साल आंकी गई थी।
अब ताज को 500 साल हो चुके हैं, लेकिन इन लकड़ियों को नमी मिलती रहने पर ये 900 साल तक बुनियाद को सुरक्षित रख सकती हैं। उन्होंने बताया कि वह 1988 में सिकंदरा स्मारक पर तैनात थे। यहां पर भी एक गहरा कुआं है। उसमें लोहे की लगी सीढ़ियों से उतरकर गए थे। वहां से लकड़ी का एक टुकड़ा भी लाए थे। इसे रसायन शाखा से चेक कराने पर मालूम हुआ था कि लकड़ी साल की थी।
निदेशक संरक्षण, वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि साल की लकड़ी को सबसे ज्यादा नमी की जरूरत होती है। इसलिए ताज के निर्माण के दौरान इसकी बुनियाद में इसी लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। इसीलिए बैराज या रबर चेक डैम की बात उठती रही है। अब रबर चेक डैम मंजूर हो जाने से ताज की बुनियाद को भी नमी मिलती रहेगी।