गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। शुक्रवार को गंगा का पानी खतरा बिंदु 63.105 मीटर से ऊपर पहुंच गया। जिससे तटवर्ती गांवों के लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ जाने लगे। बाढ़ को देखते हुए जिला प्रशासन और तहसील प्रशासन ने जनपद के पांच तहसील के सवा सौ गांवों को रेड अलर्ट घोषित किया है। लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचने के लिए कहा गया है।
ढोलपुर और माता टाला डैम से गंगा में 22 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जनपद के सवा सौ तटवर्ती गांव के लोगों पर संकट के बादल मडरा रहे हैं। अगले 24 से 48 घंटे के भीतर सेवराई तहसील के कई गांव टापू में तब्दील हो जाएंगे। ऐसे ही जमानिया और सैदपुर तहसील के कई गांव बाढ़ की चपेट में आ जाएंगे।
शुक्रवार को अधिकारियों ने दिन भर जगह-जगह बाढ़ की तैयारियों का निरीक्षण किया। इस दौरान गंगा तीन सेमी प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ती रहीं। शुक्रवार शाम चार बजे तक गंगा का जलस्तर 63.440 मीटर पर पहुंच गया था। जो खतरा बिंदु 63.105 मीटर से ऊपर होने से आधा दर्जन से अधिक गांव के हजारों लोगों का जन-जीवन प्रभावित हो गया है। ऐसे में रेवतीपुर ब्लॉक के हसनपुरा, वीरउपुर, अठहठा गांव चारों तरफ से पानी में घिर गए हैं। नगदीलपुर, नरायनापुर, कल्याणपुर, रामपुर, नसीरपुर, दुल्लहपुर के अधिकांश क्षेत्रों को बाढ़ ने चपेट में ले लिया है।
गहमर संवाददाता के अनुसार, क्षेत्र के मल्लाह द्वारिका और करीमन मांझी ने बताया कि बृहस्पतिवार शाम से शुक्रवार की सुबह तक एक फीट से अधिक पानी बढ़ा है और ये बढ़ोतरी अभी भी तेजी से हो रही है। कामाख्या धाम से रेवतीपुर जाने वाला मार्ग बाढ़ के पानी से डूबने से आवागमन पूर्णतया बंद हो गया है। वहीं, एक तरफ जहां गांव में घुस रहे पानी एवं विषैले जीव-जंतुओं से परेशान हैं। लोग ट्यूब से तैरकर पशुओं का चारा लाने को मजबूर हो गए हैं। ग्रामीणों का कहना था कि अभी तक शासन स्तर से कोई सहायता नहीं मिली है।
खानपुर संवाददाता के अनुसार, उपजिलाधिकारी सैदपुर ओमप्रकाश गुप्ता ने शुक्रवार को बाढ़ चौकी एवं जसवंत राय इंटर कॉलेज गोरखा में बाढ़ शरणालय समेत बाढ़ के पानी से प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण किया। क्षेत्र के अतिप्रभावित गांव गौरहट, तेतारपुर, पटना, खरौना बाढ़ के समय चारों तरफ से घिर जाते हैं। इन गांवों में नाव ही लोगों का सहारा बनती है।
उपजिलाधिकारी ने बताया कि गंगा और गोमती के बढ़ रहे जल प्रवाह को देखते हुए प्रशासन ने तहसील परिसर में बाढ़ कंट्रोल रूम बनाया गया है। साथ ही बाढ़ राहत के लिए 14 बाढ़ राहत चौकी, शरणालय , 30 नाव, छह तैराक रहने का निर्देश दिया गया है। हालांकि, अभी गांवों में पानी नहीं घुसा है। गांव में जाने के लिए सड़कों पर पानी आने से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है।
सेवराई संवददाता के अनुसार, बढ़ते जलस्तर के कारण सेवराई तहसीलदार अमित शेखर ने बाढ़ चौकी एवं राहत शिविर का जायजा लिया। रेवतीपुर के नेहरू विद्यापीठ इंटर कॉलेज को चिन्हित करते हुए बाढ़ राहत केंद्र बनाया गया है। वहीं कामाख्या धाम मंदिर परिसर स्थित एक भवन को राहत केंद्र के रूप में चिन्हित किया गया है। ताजपुर डेहमा संवाददाता के अनुसार, टोंस नदी में जलस्तर बढ़ने से तटवर्ती किसान परेशान हो गये हैं।
कई प्राथमिक स्कूलों को किया बंद
इससे नसीरपुर, हसनपुरा, दुल्लहपुर, वीरउपुर और अठहठा के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर दिया गया है। साथ ही बाढ़ क्षेत्र के सभी स्कूलों को पहले ही कागजों और सामानों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिये गए हैं। वहीं, ब्लॉक स्तर से परमानंदपुर, वीरपुर और हसनपुरा गांव के लिए दो-दो बड़ी नाव की स्वीकृति मिली है। अधिकारियों का दावा है कि जल्द नाव मिल जाएगी।
डीएम ने गौसपुर, समेरा, शेरपुर का निरीक्षण किया
जनपद मे गंगा के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए जिलाधिकारी एमपी ने शुक्रवार को मुहम्मदाबाद तहसील के गौसपुर, सेमरा, शेरपुर का निरीक्षण किया। उन्होंने उपजिलाधिकारी को निर्देश दिया कि बाढ़ प्रभावित गांव के लेखपाल व अन्य ग्राम स्तरीय अधिकारी भ्रमण करते रहें और बाढ़ से होने वाले नुकसान पर पैनी नजर रखते हुए सर्वे सुनिश्चित करें। उन्होंने उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में बाढ़ राहत से संबंधित सभी व्यवस्थाओं की निगरानी स्वयं रखें।
जिलाधिकारी ने नाव से गंगा किनारे के गांवों का सर्वेक्षण किया और वहां उपस्थित जन समुदाय से अपील किया कि आप लोग अपने निकट बनाए गए बाढ़ शिविर में समय रहते चले जाएं।
बाढ़ चौकियों पर 24 घंटे शिफ्टवार रहेगी कर्मचारियों की तैनाती
जिलाधिकारी ने कहा कि जनपद में सभी बाढ़ चौकियों को सक्रिय करते हुए कर्मचारियों की ड्यूटी 24 घंटे के लिए शिफ्टवार लगाई गई है। संभावित बाढ़ के दृष्टिगत जनपद मुख्यालय में स्थापित कंट्रोल रूम अग्रिम निर्देशों तक 24 घंटा कार्यशील रहेगा। साथ ही शरणालय पर आने वाले शरणार्थियों को खाने-पीने, दवा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।