गाजीपुर में गंगा अपने पूरे उफान पर हैं। गंगा के जलस्तर में लगातार बढोत्तरी जारी है। गंगा के पानी की वृद्धि रफ्तार आज सुबह 6 बजे 2 सेमी प्रति घण्टे दर्ज की गई। फिलहाल गंगा खतरे के निशान से ऊपर 63.720 मीटर पर बह रही है। जबकि जिले में 63.105 मीटर पर खतरे का निशान है। बाढ़ से तटवर्ती इलाकों में लोग बुरी तरह प्रभावित नजर आ रहे हैं।
जिले के 5 तहसीलों के निचले क्षेत्रों में बाढ़ का पानी घुस रहा है। शहर के निचले इलाकों में भी बाढ़ का पानी घुसने से लोगों का जनजीवन प्रभावित हो रहा है। लोगों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है। गंगा में आयी बाढ़ में किसानों की सैकड़ों हेक्टेयर फसलें डूब गयी हैं।
मवेशियों के लिए भी बढ़ रही समस्या
सब्जी किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है। किसानों को मवेशियों के चारे को भी समस्या बढ़ती जा रही है। बाढ़ की समस्या से नाविक और मछुआरे भी बुरी तरह प्रभावित है। उनका कामकाज बंद हो गया है। आजीविका समस्या उनके सामने बड़ा सवाल बन कर खड़ी है। जबकि बाढ़ के मद्देनजर जिला प्रशासन अलर्ट मोड पर होने का दावा कर रहा है। बाढ़ चौकियों को लगातार निगरानी करने और बाढ़ राहत केंद्रों को एक्टिव मोड पर रख गया है।
पानी छोड़ने से जलस्तर तेजी से बढ़ा
मालूम हो कि ढोलपुर और माता टाला डैम से गंगा में 22 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने से जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। जनपद के तटवर्ती गांव के लोगों पर संकट के बादल मडरा रहे हैं। गंगा के जलस्तर में यदि ऐसे ही लगातार वृद्धि होती रही तो कई गांव टापू में तब्दील हो जाएंगे।
मछुआरों की रोजी रोटी भी प्रभावित
ग्रामीण बलिराम ने बताया कि गंगा में बहुत पानी बढ़ गया है। जिसके चलते नदी किनारे गांवों में पशुओं को चारे की समस्या उत्पन्न हो गई है। निचले इलाके में रहने वाले लोगों के सामने भारी परेशानी खड़ी हो गई है। मछुआरों की रोजी रोटी भी प्रभावित हो गई है।
बाढ़ प्रभावित लोगों पर रखा जा रहा नजर
जिलाधिकारी एमपी सिंह ने उपजिलाधिकारियों को निर्देशित किया कि वे बाढ़ प्रभावित ग्रामों में बाढ़ राहत से सम्बन्धित सभी व्यवस्थाओं की तैयारियां रखे। साथ ही खुद भी निगरानी रखे ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों को आवश्यकता पड़ने पर तत्काल राहत पहुंचाया जा सकें।