हिंदू समाज में नाग को देवता के रूप पूजा तो की जाती है। लेकिन वहीं नाग अगर आम इंसान के सामने पड़ जाए तो अच्छे अच्छों के सांस अटक जाती है। कितने लोग तो सांप को दूर से देख कर ही कांप उठते हैं। वहीं गाजीपुर का एक युवा ऐसे ही जहरीले और काल कहे जाने वाले सांपों के साथ खेलता है। सांप चाहे कितना भी विशाल हो या कितना भी जहरीला, यह युवा इतनी आसानी से बिना किसी डंडे या अन्य उपकरण के अपने हाथों से पकड़ लेता है, मानो जमीन पर पड़ी कोई रस्सी उठा रहा हो।
आसपास के जिलों में सांप पकड़ने के लिए जाता है बुलाया
धीरज सिंह नाम के इस युवा को अब लोग धीरज बाबा के नाम से पुकारने लगे हैं। गाजीपुर ही नहीं आसपास के जिलों से भी उनको सांप पकड़ने के लिए बुलाया जाता है। सांप कितना भी बड़ा या विषैला हो, उसके फन पर धीरज बाबा का थप्पड़ लगते ही अकड़ कम हो जाती है। फिर धीरज उसको बोरे में भरकर लेकर चले जाते हैं। सांप को अपने वश में करने की कला से ही लोग धीरज को बाबा कहने लगे, और आज जनपद सहित आसपास के जिलों में धीरज बाबा के नाम से जाने जाते हैं।
धीरज के पिता थे जीव विज्ञान के प्रवक्ता
अभी भी धीरज बाबा अलग-अलग घरों से जहरीले सांपों को निकालकर लोगों की प्राणरक्षा करते हैं। सांपों को दूसरे जगह जंगल झाड़ियों में ले जाकर छोड़ देते हैं। जिले के करंडा थाना क्षेत्र के मानिकपुर कोटे निवासी धीरज सिंह उर्फ धीरज बाबा बचपन से ही बहुत चंचल स्वभावत के हैं। इनके पिता यशवंत सिंह, इण्टर कालेज करंडा में जीवविज्ञान के प्रवक्ता थे।
पिता से सर्पदंश से मौत के कारण की ली पुरी जानकारी
धीरज ने बताया कि बचपन से ही पिता ने उनको जीव जंतुओं के बारे में बहुत कुछ बताया। कौतुहल वश एक दिन मैं अपने पिता से सर्पदंश से मौत के कारण के बारे में विस्तृत जानकारी लिया और उसके बाद सांपों का मेरे मन से डर पूरी तरह समाप्त हो गया। इसके बाद मैं आसानी से खेल खेल में सांपों को पकड़ लिया करता था। मेरा यह शौक तमाम लोगों की प्राण रक्षा के काम आने लगा।
अब तक पकड़ चुके हैं हजारों सांप
धीरे-धीरे गांव और क्षेत्र के लोग सांपों के दिखने के बाद सांप पकड़ने के लिए धीरज को बुलाने लगे। अब तो पूरे गाजीपुर जनपद ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी लोग फोन से धीरज को सांप निकालने की गुहार लगाते हैं। खुद धीरज का दावा है कि अब तक विभिन्न जगहों से हजारों सांपों को वह पकड़ चुका हुं।