रह-रह कर बादल घिरे, उम्मीदें बंधी, ऐन समय पर हवा चली और बादलों को उड़ा ले गई। शहर वालों के हिस्से आई उमस भरी गर्मी, धूल और पेड़ों से गिरे सूखे पत्ते, कूड़ों में पड़े कागज और पालीथिन की पन्नियां। हां, ग्रामीण क्षेत्रों में शनिवार के बाद रविवार को भी कहीं-कहीं अच्छी वर्षा हुई और किसानों को राहत मिली। अन्य इलाकों में केवल बूंदाबांदी या बादलों की आवाजाही तक मानसून सिमट कर रह गया।
काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य शिवालयों में उमड़े भक्तों की गर्मी और उमस से परेशानी बढ़ गई है। सुबह नौ बजे तापमान 32 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सावन के महीने में भी पूर्वांचल में अच्छी बारिश नहीं हो रही है। जुलाई के महीने में भी सामान्य से कम ही बारिश हुई है।
बाबतपुर स्थित मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक शनिवार की सुबह आठ बजे से रविवार की सुबह आठ बजे तक कुल 21 मिमी वर्षा हुई। जबकि इसके पूर्व शनिवार की सुबह तक 24 घंटों में 94 मिमी पानी बरसा था, शनिवार को दिन में भी 12.6 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई थी।
बादलों की विरलता से अधिकतम तापमान 24 घंटे में एक डिग्री सेल्सियस बढ़कर 35.8 पर आ गया। इसी तरह न्यूनतम तापमान में भी 0.8 डिग्री बढ़कर 25 पर पहुंच गया। इस तरह अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री ऊपर रहा और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री नीचे। बादलों की आवाजाही के बीच अधिकतम आर्द्रता 92 प्रतिशत व न्यूनतम 77 प्रतिशत रही। इसके चलते लोग भीषण उमस भरी गर्मी से बेहाल रहे।
आषाढ़ का महीना सूखा गुजर जाने के बाद उम्मीदों की फुहार ले कर आया सावन भी वाराणसी समेत आसपास के जिलों में झूम कर नहीं बरस सका है। बादलों की बेरुखी ने लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। सावन के अंतिम सोमवार पर वाराणसी में तेज धूप के साथ दिन की शुरुआत हुई है। सूरज के तेवर तल्ख हैं। ऐसे में काशी विश्वनाथ मंदिर समेत शहर के अन्य शिवालयों में उमड़े भक्तों की गर्मी और उमस से परेशानी बढ़ गई है। सुबह नौ बजे तापमान 32 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। सावन के महीने में भी पूर्वांचल में अच्छी बारिश नहीं हो रही है। जुलाई के महीने में भी सामान्य से कम ही बारिश हुई है। लोगों की मानें तो बारिश का दौर तो लगता है कि इस वक्त थम सा गया है। आषाढ़ जहां सूखा चला गया, वहीं सावन भी अब जाने वाला है।