गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने के बाद अब पानी का वेग भी थमने लगा है। पानी कम होने की उम्मीद के बीच गंगा का जलस्तर नए इलाकों में बाढ़ की दुश्वारी छोड़ता जा रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले कुछ घंटों में पानी और बढ़ा तो नए इलाके बाढ़ की जद में आ जाएंगे।
पानी का बढ़ाव होने के साथ राहत और बचाव कार्य भी जारी है तो दूसरी ओर विश्वनाथ कारिडोर के निचले इलाकों में पानी भरने के बाद वहां लोगों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। गंगा का बढ़ाव जारी रहने से शवदाह भी अब प्रभावित हो चुका है। गलियों में चिताएं जल रही हैं तो आस्था वश आने वाले लोग घाटों से दूर गलियों में ही गंगा को प्रणाम कर लौट जा रहे हैं।
पखवारे भर धड़कने बढ़ाने और सवा सौ से अधिक गांव-मोहल्लों को जलाजल कर जाने के बाद गंगधार ने श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में हाजिरी लगाने के बाद विश्राम ले लिया। मंगलवार रात 10 बजे गंगा के जल स्तर में वृद्धि थमी और बाढ़ का पानी 72.14 सेंटीमीटर पर स्थिर हो गया। इससे तटवर्ती लोगों के साथ ही पुलिस-प्रशासन ने भी राहत की सांस ली है। वैसे फाफामऊ व प्रयागराज में दो दिन पहले गंगा-यमुना का जल स्तर स्थिर होने के बाद से ही इसकी संभावना जताई जा रही थी।
वास्तव में गंगा के जल स्तर में लगभग दो सप्ताह बाद 15 अगस्त से बढ़ाव शुरू हुआ। अगले ही दिन सुबह से उफान इस तरह आया कि सिर्फ 12 घंटे में पानी 1.56 मीटर बढा और चार दिन में 18 अगस्त को वरुणातटीय इलाके पलट प्रवाह से जलाजल हो गए। दो दिन बढ़ाव के बाद 21 अगस्त को 69.77 सेंटी मीटर पर जल स्तर वृद्धि थमी और कमी होने लगी लेकिन 23 की शाम 69.08 तक आकर स्थिर हो गईं। अभी लोग राहत की सांस ले भी न पाए थे कि 24 की रात से तीन सेंटीमीटर की रफ्तार से बढ़ाव शुरू हुआ तो इसमें वृद्धि होती गई।
रफ्तार बढ़ते हुए जल स्तर 25 अगस्त की दोपहर दो बजे चेतावनी बिंदु (70.262 मीटर) लांघ गया तो 26 की रात 11 बजे खतरे का निशान (71.262 मीटर) पार कर गया। इसके बाद भी तीन सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से वृद्धि जारी रही। इससे ज्ञान प्रवाह नाले से होते शहर के दक्षिणी इलाके की कालोनियों में चार फीट तक पानी भर गया। वरुणा में पलट प्रवाह के चलते आसपास के मोहल्ले जलाजल हो उठे। रविवार को इसमें कमी आई और यह एक सेंटीमीटर प्रतिघंटा पर आया।