जमानियां (Zamania) के नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। यहां पर तीस साल पहले 52 मातृ शिशु कल्याण उपकेंद्र का निर्माण कराया गया था। इनमें से आज ज्यादातर भवन जर्जर हो चुके हैं। जिससे महिलाओं को बेहतर चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है।
आज तक नहीं हुई भवनों की मरम्मत
क्षेत्र की आबादी साढ़े तीन लाख की है। 130 गांव वाले क्षेत्र में 30 वर्ष पहले 10 करोड़ की लागत से 52 मातृ शिशु कल्याण उपकेन्द्र बने थे। इनमें से आज सिर्फ 20 ही सही हालत में हैं। प्रशासन की उदासीनता के चलते 30 भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। इन 30 भवनों के सही तरीके से निर्माण के लिए पांच वर्ष पहले शासन को प्रस्ताव भेजा गया, लेकिन आज तक इसका भवनों की मरम्मत नहीं हो सकी है।
स्थानीय दुखन्ति देवी, लाची देवी, देवंती राजभर, प्रमिला देवी, कविता देवी, रेनू आदि महिलाओं ने बताया कि करीब आधा दर्जन एएनएम के पद एक साल से रिक्त पड़े हुए हैं। इनकी जगह नए कर्मचारियों की तैनाती न किए जाने से यह केन्द्र सफेद कागज पर सिर्फ साबित हो रहे हैं।
आवारा पशुओं का बना शरणगाह
बताया कि जो भवन जर्जर हैं, अवारा मवेशियों के लिए शरणगाह बन चुके हैं। यह जर्जर भवन कब धराशाही हो जाएं, कुछ कहा नहीं जा सकता है। कई मातृ शिशु कल्याण उपकेन्द्र तो ऐसे हैं, जिनके बनने के बाद से ही कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं की गई। इस वजह से वहां पर ताला लटका रहता है। इस कारण से गर्भवती महिलाओं के इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।
दूर के अस्पताल जाने को विवश महिलाएं
विभागीय उदासीनता का नतीजा है कि ये जच्चा बच्चा केन्द्र भी अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे है। कई केन्द्रों की तो चहारदीवारी भी गिर चुकी है। भवन पूरी तरह से जर्जर हैं। दरवाजे तथा खिड़कियां टूटी हुई हैं।महिलाओं, युवतियों, नौनिहालों को टीकाकरण के लिए भी दूसरे केंद्रों की शरण लेनी पड़ती है।
प्रस्ताव मंजूरी के लिए भेजा पत्र
ग्रामीणों ने बताया कि महिलाओं को प्रसव आदि के लिए सुदुर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। बावजूद जनप्रतिनिधि से लगायत विभाग पूरी तरह से लापरवाह बना हुआ है। इस संबंध में सीएमओ डॉ. हरगोविंद सिंह ने बताया कि जर्जर भवनों का सर्वें कराया गया है। इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है। प्रस्ताव मंजूर होते ही भवनों का कायाकल्प कराया जाएगा।