सेवराई तहसील क्षेत्र में ऑपरेशन कायाकल्प के बावजूद परिषदीय विद्यालयों की स्थिति नहीं सुधरी है। इसका खामियाजा नौनिहालों को भुगतना पड़ रहा है। अंग्रेजी मीडियम स्कूलों की तर्ज पर परिषदीय विद्यालयों को विकसित तो किया गया, लेकिन स्थिति पहले जैसी है।
ग्रामीण अंचलों में विद्यालयों जाने के लिए अधिकतर बच्चों को पगडंडी का ही सहारा लेना पड़ता है। कई विद्यालयों पर मूलभूत सुविधाओं के ना होने से वहां के शिक्षकों व छात्र छात्राओं को परेशानियां उठानी पड़ती हैं।
भदौरा ब्लॉक में 118 विद्यालय
सेवराई तहसील क्षेत्र के भदौरा विकासखंड में कुल 118 विद्यालय हैं। जिनमें 78 प्राथमिक विद्यालय, 16 पूर्व माध्यमिक विद्यालय और 24 कम्पोजिट विद्यालय हैं। इनमें इस वर्ष कुल 14,634 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जबकि दिव्यांग बच्चों की संख्या 244 है। बच्चों के पठन-पाठन के लिए शासन ने विभिन्न विद्यालयों पर कुल 362 शिक्षक, 19 अनुदेशक एवं 12 शिक्षा मित्रों की तैनाती की है।
विकासखंड के 24 विद्यालयों को मरम्मत व निष्प्रयोज्य घोषित किया गया था। जिनमें 8 विद्यालयों को ध्वस्तीकरण के लिए चिह्नित किया गया है। जबकि शेष अन्य 16 विद्यालय मरम्मत के अभाव में पड़े हुए हैं। नीलामी प्रक्रिया पूरी करते हुए 2 विद्यालय सतराम गंज बाजार व मिश्रवलिया को ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पूरी की गई है। 118 विद्यालयों के सापेक्ष महज 80 विद्यालयों में दिव्यांग शौचालय बनाए गया। जबकि शेष 38 विद्यालय में अभी भी दिव्यांग शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं है।
शौचालयों में सफाई व्यवस्था चरमराई
क्षेत्र के अधिकतर विद्यालयों में शौचालय व उसमें साफ सफाई की व्यवस्था चरमरा गई है। अधिकांश शौचालय में ताला बंद मिले। कुछ शौचालयों में गंदगी का अंबार लगा हुआ है। कम्पोजिट विद्यालय पचौरी में कक्षा 6 से 8 तक 131 छात्र-छात्राएं तो एक से पांच तक 161 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जबकि विद्यालय परिसर में बनाया गया दिव्यांग शौचालय में ताला लटका हुआ है। अन्य शौचालय गंदगी से पटे हुए हैं।
बदहाली की भेंट चढ़ा शौचालय
कर्मनाशा व गंगा तट पर बसे गांव के कई विद्यालय बाढ़ के दौरान पानी से घिर जाते हैं। इस वजह से वहां पठन-पाठन बंद हो जाता है। ब्लॉक संसाधन केंद्र मुख्यालय स्थित कम्पोजिट विद्यालय सेवराई में कुल 519 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। जिनके पठन-पाठन के लिए 6 शिक्षक, 2 शिक्षा मित्र व दो अनुदेशक नियुक्त किए गए हैं। कम्पोजिट विद्यालय के परिसर में बनाया गया शौचालय बदहाली की भेंट चढ़ चुका है। बच्चों को बाहर जाने को विवश होना पड़ता है।
स्कूल तक जाने का नहीं है रास्ता
प्राथमिक विद्यालय भतौरा के शौचालय का गेट कोई महीने पहले ही टूट गया था। सूचना के बावजूद ग्राम प्रधान ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। प्राथमिक विद्यालय सिन्हा पर ना ही शौचालय हैं और ना ही विद्यालय तक जाने का कोई प्रमुख मार्ग है। बच्चों को पगडंडियों के सहारे स्कूल जाना पड़ता है।
एसडीआई की कुर्सी मिली खाली
ब्लॉक संसाधन केंद्र पर खंड शिक्षा अधिकारी से संपर्क किया गया तो वे अनुपस्थित मिले। फोन किया गया तो उन्होंने हाईकोर्ट में आने का हवाला देकर बात टाल दिया। ब्लॉक संसाधन केंद्र कार्यालय का शौचालय भी चोक (जाम) मिला। कई विद्यालयों पर शिक्षक अनुपस्थित मिले।