जमानियां क्षेत्र में स्वास्थ्य व्यवस्था लचर साबित हो रही है। यहां पर दर्जनों गांव में पीएचसी ऐसे हैं। जहां पर दो सालों से चिकित्सकों की तैनाती नहीं की गई। यहां पर मरीजों को मजबूर होकर निजी अस्पताल का सहारा लेना पड़ रहा है।
दस साल पहले बनाए गए पीएचसी
करीब दस साल पहले चार गांवों बेटावर, डेढगावां, नगसर मीरराय और उत्तरौली में पीएचसी का निर्माण कराया गया था। यहां पर दो सालों से चिकित्सक तैनात नहीं हैं। चिकित्सकों के न होने से स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। ग्रामीणों को शहरों में निजी अस्पताल जाना पड़ रहा है। इससे उनकी जेब पर भी भारी खर्चा आ रहा है।
धीरेन्द्र, जितेंद्र पांडेय, राजकुमार, अजय कुमार, गोरखनाथ और गौरीशंकर आदि ग्रामीणों ने बताया कि इन सभी जगहों पर तैनात रहे चिकित्सकों का स्थानांतरण कर दिया गया। लेकिन फिर बाद में इनकी जगह पर कोई चिकित्सक नहीं आया। यहां पर आए मरीजों को वार्ड ब्वॉय देख लेता है।
मरीजों को जाना पड़ता है 15 किमी. शहर
मरीजों को पंद्रह किमी दूर जिला मुख्यालय जाना पड़ता है। करीब चालीस हजार की आबादी वाले इन इलाके के लोगों को दिन रात चिकित्सकीय सुविधाओं के लिए इधर उधर भटकना पड़ रहा है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, एक पीएचसी पर कुल आठ पद सृजित हैं। जिनमें चिकित्साधिकारी, फार्मासिस्ट, वार्ड ब्वॉय, स्वीपर, लैब असिस्टेंट, एनएमए, कुष्ठ रोग और एएनएम शामिल हैं।
इस संबंध में सीएमओ डॉ. हरगोविंद सिंह ने बताया कि डॉक्टर की कमी होने से समस्या आ रही है। नए चिकित्सकों के आते ही खाली जगहों पर तैनाती कर दी जाएगी। ग्रामीणों की समस्या का समाधान किया जाएगा।