शासन द्वारा जर्जर सड़कों को मरम्मत करने के लिए भले ही लाखो करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन, विभागीय उदासीनता के कारण लोगों को आज भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों के द्वारा शिकायत के बावजूद कोई कार्रवाई ना होने से क्षेत्रीय ग्रामीणों में आक्रोश व्याप्त है।
हम बात कर रहे हैं सेवराई के करहिया अठहठा-नसीरपुर मार्ग की। जो बीते करीब दो दशक से उपेक्षा का दंश झेल रहा है। वहीं, शासन द्वारा धन अवमुक्त करने के बावजूद संबंधित ठेकेदारों द्वारा मरम्मत के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए हजम कर गए। ग्रामीणों के द्वारा कई बार सड़क निर्माण करने की मांग की गई लेकिन जिम्मेदारों द्वारा इसे अनदेखा कर दिया गया। जिससे ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है।
खेतों में जाने के लिए भी है इसी रोड से गुजरना पड़ता है
ग्रामीणों का कहना है कि बाढ़ के दौरान अत्यधिक पानी बढ़ने से यह सड़क लगभग पूरी तरह से डूब जाती है जिससे क्षेत्रीय किसान व विभिन्न गांव के लोगों को दूसरे मार्गो से आवागमन करने को विवश होना पड़ता है।ग्रामीण सविता राजभर, रितेश राय, साधना यादव, सन्तोष राजभर, चंपा गुप्ता, विपिन कुमार आदि ने बताया कि यह सड़क बसुका, नसीरपुर, अठहठा, हसनपुरा, नगदिलपुर, विरउपुर आदि सहित आधा दर्जन से अधिक गांव को ताड़ीघाट बारा मुख्य मार्ग से जोड़ती है। वही करहिया गांव के सैकड़ों किसान अपने खेतों पर काम करने के लिए इसी मार्गों से आवागमन करते हैं।
सड़क के नाम पर बची हैं महज गिट्टियां
सड़क के नाम पर महज बड़ी-बड़ी गिट्टीयां दिख रही हैं। आक्रोशित ग्रामीणों ने कहाकि कई बार अधिकारियों को एवं क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों को सड़क बनाने की मांग की गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला।ग्रामीणों ने बताया कि केवल चुनाव के दिनों में ही जनप्रतिनिधि इधर दिखाई देते हैं।एसडीएम सेवराई राजेश प्रसाद चौरसिया ने बताया कि सड़क निर्माण को लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों को पत्राचार किया जाएगा। अभी बाढ़ का समय है इसलिए बाढ़ आपदा के राहत के लिए प्रशासनिक अमला जुटा हुआ है।