सरकार प्राथमिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं चला रही है, लेकिन परिषदीय स्कूलों की व्यवस्था अभी भी बेपटरी है। जमानियां ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय ढढनी पूर्वी द्वितीय में कक्षा एक से पांच तक के छात्र पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं। यह हाल पिछले पांच सालों से है। स्कूल के सामने पोखरे के भीटे पर पेड़ के नीचे पाठशाला चल रही है।
पेढ़ के नीचे पढाई के दौरान ब्लैक बोर्ड तक की व्यवस्था नहीं है। पास में तालाब बना है, जिससे गंदगी फैलने का खतरा बना रहता है। पढ़ाई के दौरान इन नौनिहालों को हमेशा छुट्टा पशुओं से परेशानी होती है।
संक्रमण का रहता है खतरा
धीरेन्द्र, जितेन्द्र पांडेय, राजकुमार, अजय कुमार, गोरखनाथ, गौरीशंकर आदि अभिभावकों ने कहा कि योगी सरकार परिषदीय स्कूलों की तस्वीर बदलने में लगी हुई है। स्कूलों में इंटरनेट की मदद से स्मार्ट क्लास चलाने की तैयारी कर रही है। इधर, स्कूलों में आज तक अच्छा कमरा तक नहीं बन सका है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में विद्युत कटौती, कम कमरे होने की अव्यवस्था है। ऐसे में सरकार व विभाग निजी पब्लिक स्कूलों से किस तरह से प्रतिस्पर्धा कर पाएंगें।
सिर्फ दो ही कमरे हैं स्कूल में
बताया कि आलम यह है कि स्मार्ट क्लास की कक्षाओं के बजाय इन नौनिहाल पेड़ के नीचे पढ़ने को विवश हैं। वहीं, प्रधानाध्यापक अरूण निषाद ने बताया कि इस विद्यालय में पांच कक्ष
के बजाय महज दो कक्ष ही हैं। जिससे मजबूरी में छात्रों को पेड़ के नीचे पढ़ाना पड़ता है। इस विद्यालय में कक्षा एक से लेकर कुल 70 छात्र पंजीकृत हैं। बताया कि सहायक अध्यापक अमित कुमार गुप्ता व शिक्षा मित्र सविता राय के सहयोग से किसी तरह शैक्षणिक कार्य कराते हैं।
जल्द मिलेगी अन्य कक्षा की सुविधा
प्रधानाध्यापक ने बताया कि विद्यालय का कैम्पस काफी छोटा है। जिसमें दो कमरा, एक कार्यालय है। विद्यालय बाउंड्री भी नहीं है। विद्यालय के बगल में ही एक तालाब है। ग्रामीणों व अभिभावकों का कहना है कि पेड़ के नीचे पढ़ने वाले छात्र जमीन पर पट्टी के सहारे बैठते हैं। इन्हें जरूरी मूलभूत सुविधाएं, पेयजल, शौचालय की समुचित सुविधा तक नहीं है। इस संबंध में एबीएसए अशोक गौतम ने बताया कि हमें इसकी जानकारी नहीं थी। इसकी जांच कर पता लगाया जाएगा। यहां पर अन्य कमरे भी बनवाए जाएंगे।