जानवरों के खाने वाली चरी से अब शुगर सिरप तैयार होगा और वह भी सबसे कम कैलोरी वाला। चीनी और शहद से काफी कम कैलोरी सिरप में होगी। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान के वैज्ञानिकों ने यह तकनीक विकसित की है। इसकी पुष्टि संस्थान की लैब के साथ हैदराबाद स्थित आईसीएआर-इंडियन इंस्टीट्यूट्स ऑफ मिलेट्स रिसर्च में भी हुई है। टेस्टिंग के लिए सिरप को कर्नाटक, महाराष्ट्र और दिल्ली के कई विशेषज्ञों के अलावा केंद्र सरकार के सचिव सुधांशु पांडेय को भी भेजा गया था, जिन्होंने इसकी जमकर सराहना की। जल्द यह तकनीक स्टार्टअप के माध्यम से बाजार में उपलब्ध होगी। 25 अगस्त को इस पर हैदराबाद में बैठक होगी।
एनएसआई के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन की अगुवाई में गन्ने की खोई, इथेनॉल को लेकर कई रिसर्च चल रही हैं। उन्होंने बताया कि जानवरों को खिलाए जाने वाली चरी से इथेनॉल बनाने की तकनीक विकसित की गई है। शोध के दौरान चरी में 36 फीसदी फ्रक्टोज, 32 फीसदी ग्लूकोज और सात फीसदी सुक्रोज मिला। सुक्रोज की मात्रा कम होने से इसे बेहतर शुगर सिरप बनाया जा सकता है। इस ख्याल के साथ दो साल पहले शोध शुरू किया।
प्रो. मोहन ने मुताबिक स्टील से बने एक्सट्रैक्टर, माइक्रो फिल्टरेशन, ऑर्गेनिक क्लैरीफाइंग एजेंटों के उपयोग से क्लैरीफिकेशन, ऑयन एक्सचेंज रेजिन के माध्यम से डीकलराजेशन और निश्चित तापमान में उबालने की प्रक्रिया की गई। जिसके बाद यह शुगर सिरप तैयार हुआ। उन्होंने बताया कि प्रति 100 ग्राम चीनी के सिरप में 400 कैलोरी, शहद के सिरप में 325 और चरी से तैयार इस सिरप में सिर्फ 295 कैलोरी मिली है।
प्राकृतिक होने के साथ बिना प्रिजरवेटिव रहेगा सुरक्षित
प्रो. मोहन के मुताबिक चरी से तैयार शुगर सिरप पूरी तरह प्राकृतिक है। इसे बिना किसी प्रिजरवेटिव को मिलाए एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वैज्ञानिकों का दावा है कि सिरप में जमने जैसी समस्या नहीं होगी। यह चीनी सिरप या शहद सिरप से काफी सस्ता होगा।
प्रोटीन, अमीनो एसिड, खनिज से भरपूर
प्रो. नरेंद्र मोहन के मुताबिक यह चरी ज्वार का तना होता है, जिसे जानवरों को खिलाया जाता है। ज्वार जरूरी न्यूट्रिएंट से भरपूर होता है। इसलिए इस चरी में भी प्रोटीन, अमीनो एसिड, खनिज आदि होते है। इसके तत्व चरी से तैयार शुगर सिरप में भी मिलते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हैं।