बीएचयू में सोमवार छात्रों का विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। फीस बढ़ाए जाने के विरोध में छात्रों का केंद्रीय कार्यालय पर प्रदर्शन किए। केंद्रीय कार्यालय के बाहर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों ने बढ़ी हुई फीस वापस लेने की मांग पर डटे हैं। वहीं हिंदी विभाग में भी छात्र धरना दे रहे है। हिंदी विभाग में पीएचडी में धांधली के विरुद्ध धरना प्रदर्शन जारी है।
बीएचयू के हिंदी विभाग में प्रवेश के तीन माह बाद भी पाठ्यक्रम तय नहीं
बीएचयू के हिंदी विभाग में शोध छात्रों के प्रवेश के करीब तीन महीने बाद भी पाठ्यक्रम तय नहीं हो सका है। ऐसे में हिंदी साहित्य का पाठ्यक्रम ही प्रयोजनमूलक हिंदी के शोधार्थियों को भी पढ़ाया जा रहा है। विभाग में प्रयोजमूलक हिंदी में पीएचडी कर रहे छात्र नील दुबे ने शुक्रवार को विभागाध्यक्ष को पत्र लिखकर व रविवार को ईमेल के जरिए अपने विषय से संबंधित प्री पीएचडी कोर्सवर्क के संचालन की मांग की है।
नील ने बताया कि बीते 11 मई को उन्हें रेट एग्जेंप्टेड श्रेणी में प्रयोजमूलक हिंदी ( पत्रकारिता ) से पीएचडी के लिए प्रवेश मिला था। इसके बाद 18 जुलाई से सत्र 2021के शोध छात्रों की प्री पीएचडी कोर्स वर्क संचालन की नोटिस चस्पा की गई थी। जब वह क्लास करने पहुंचे तो पता चला कि उन्हें प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता की बजाय हिंदी साहित्य का पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है।
छात्र ने बताया कि हिंदी साहित्य और प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता का पाठ्यक्रम बिल्कुल अलग है। जहां हिंदी में साहित्यिक शोध पर जोर होता है वहीं प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता में जनसंचार शोध पर। परास्नातक में भी दोनों की कक्षाएं अलग-अलग चलती हैं।
पहले भी वर्ष 2009 में पीएचडी के छात्रों को प्रयोजनमूलक हिंदी पत्रकारिता विषय से ही कोर्सवर्क कराकर अलग परीक्षा ली गई थी।विभाग में पत्र सौंपने पर नहीं मिलता डायरी नंबर व रिसीविंगशोध छात्र नील दुबे ने बताया कि जब वे पत्र लेकर विभाग के कार्यालय में पहुंचे तब वहां वरिष्ठ सहायक कुमार शैलेंद्र ने यह कहते हुए रिसीविंग और डायरी नंबर दोनों में से कुछ भी देने से यह कहकर मना कर दिया कि यहां किसी भी टेबल से कुछ नहीं मिलता।