शासन द्वारा सफाई व्यवस्था पर चाहें लाखों रुपए खर्च कर कर्मचारियों की तैनाती की गई हो, लेकिन क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और अधिकारियों की मिलीभगत से बायोमैट्रिक सिस्टम होने के बावजूद गांव में साफ सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। नतीजा ग्रामीणों में आक्रोश बना हुआ है।
वहीं ग्रामीणों का आरोप है कि प्रधान द्वारा मिलीभगत कर सफाई कर्मचारी महज बायोमैट्रिक अटेंडेंस लगाकर वेतन का उठान कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला सेवराई तहसील क्षेत्र के फरीदपुर गांव का है। जहां छह हजार की आबादी की साफ सफाई का जिम्मा महज 2 कर्मचारियों के भरोसे छोड़ा गया है।
ग्रामीणों ने कहा महीनों से नदारद रहते हैं कर्मचारी
फरीदपुर ग्राम सभा अंतर्गत पड़ने वाले मौजपुर गांव में सफाई कर्मचारियों को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। ग्रामीणों ने कहा कि महीनों से सफाई कर्मियों का दर्शन नहीं हुआ है। सफाई कर्मी महज प्रधान उसके आसपास के इलाके में ही साफ सफाई की करते हैं। आरोप लगाया कि ग्राम प्रधान द्वारा राजनीतिक द्वेष वश मौजपुर आबादी में सफाई कर्मियों की तैनाती नहीं कराते हैं। जिसके कारण गांव में विभिन्न गलियां गंदगी से पटी पड़ी है।
लोगों को संक्रामक बीमारियां फैलने का है डर
ग्रामीण बबलू, सुरेंद्र, मंगरु, राम ब्यास, डब्लू, राम विलास आदि ने बताया कि कई बार साफ सफाई व्यवस्था एवं नालियों के निर्माण के लिए ग्राम प्रधान से शिकायत किया गया, लेकिन ग्राम प्रधान द्वारा अभी तक कोई काम नहीं कराया गया है। बताया कि मौजपुर गांव में करीब 200 से 300 परिवार रहते हैं वही फरीदपुर के हरिजन बस्ती सहित अन्य इलाकों में भी साफ सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है।
गांव में महज 2 महिला कर्मचारियों की तैनाती
ग्राम प्रधान सैयद अरशद ने बताया कि गांव में महज 2 महिला कर्मचारियों की तैनाती है। जो आबादी के हिसाब से नाकाफी है। उच्च अधिकारियों से अवगत कराया गया है अन्य सफाई कर्मियों की मांग की गई है। मौजपुर गांव में साफ सफाई व्यवस्था को लेकर संबंधित कर्मचारियों को निर्देशित किया गया है। जल्द ही समस्याएं दूर करा दी जाएंगी।