नेवादा गांव में शहीद लेफ्टिनेंट जयप्रकाश सिंह की प्रतिमा का अनावरण सोमवार को सैनिक सम्मान के साथ सेना की द्वितीय मराठा लाइट इंफेंट्री वाली पांचवी के सूबेदार पंडित लाड व बलिदानी की मां चंदा देवी ने शिलापट्ट से परदा हटा किया। बेटे की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद मां उनकी प्रतिमा से लिपटकर रोने लगीं तो उपस्थित लोग भी भाव-विह्वल हो उठे।
बलिदानी के साथियों ने कहा कि असम के बेहद घनघोर जंगलों वाली पहाड़ियों में आपरेशन राइनों चलाया जा रहा था। प्लाटून कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जयप्रकाश अपनी टीम को लीड कर रहे थे। न्यू बोंगाई के जंगलों में आगे चल रहे थे कि अचानक ऊंचाई पर छिपे उग्रवादियों से मुठभेड़ शुरू हो गई।
जयप्रकाश सहित चार जवानों को गोलियां लगीं। गोली लगने के बाद जयप्रकाश का साहस कम नहीं हुआ और उन्होंने उग्रवादियों का डटकर सामना किया। 33 वर्ष की आयु में उन्होंने 30 जुलाई 2002 को दम तोड़ दिया। सैनिक सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया।
जयप्रकाश के बलिदानी होने के बाद उनकी मां चंदा देवी के कंधों पर जयप्रकाश की तीन बहनों के साथ ही उनकी तीन बेटियों की जिम्मेदार आ गई। सैनिक परिवार की सदस्य चंदा देवी ने भी साहस का परिचय देते हुए पूरे परिवार का भरण पोषण किया। बलिदानी की बेटियों पारूल, शैलजा व गायत्री और मां चंदा देवी को सेना के जवानों ने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा समेत अन्य उपहार भेंट किए।
बलिदानी की प्रतिमा पर सूबेदार पंडित लाड, सूबेदार राजकिरण, सैनिक कल्याण बोर्ड के कर्नल अरुण, जिला पंचायत अध्यक्ष पंकज सिंह, पीएनबी शाखा सैदपुर के प्रबंधक सौरभ पांडेय, चंदन सिंह अभिषेक पांडेय, मंगल सिंह, मनीषा सिंह, शुभम सिंह, प्रिंस सिंह ने श्रद्धा-सुमन अर्पित किया। मूर्ति अनावरण कार्यक्रम का संचालन विक्रांत सिंह ने किया।