गाजीपुर जिले के जमानिया क्षेत्र के विभिन्न जगहों पर पशुओं के बेहतर उपचार के लिए खोले गये राजकीय पशु चिकित्सा केंद्र तथा पशुधन प्रसार केंद्र बेमतलब साबित हो रहे हैं। इनमें से कई केंद्रों पर तो चिकित्सक नहीं हैं। वहीं कई पर तो दवाइओं का टोटा है।
जहिन्दर ,राजू गुप्ता,अमित पांडेय,विनोद गुप्ता,लादू सिंह,गुड्डू पांडेय आदि पशुपालकों ने बताया देखा जाए तो वर्तमान में छह पशुधन प्रसार केन्द्र हैं। इनमें से चार चिकित्सकों के स्थानांतरित हो जाने से पिछले कई महीनों से बंद पडे हुए हैं। जबकि, क्षेत्र में तीन राजकीय पशु चिकित्सालय हैं। इनमें से एक पिछले चार माह से यहाँ तैनात पशु चिकित्सक के गैर जनपद स्थानांतरण होने से खाली पड़ा है।
फोर्थ क्लास कर्मचारियों के भरोसे हो रहे संचालित
लोगों ने बताया कि पद विहीन पशु चिकित्सा केंद्र किसी तरह से चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के भरोसे संचालित किए जा रहे हैं। शासन और विभाग के द्वारा रिक्त पदों नये कर्मचारियों व डाक्टरों की नियुक्ति न किए जाने से ऐसे में क्षेत्रीय पशुपालकों को दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैैं।
दूर दराज तक दौड़ लगाते हैं पशुपालक
पशुपालकों ने बताया कि पशुओं में फैलने वाली मौसमी बीमारी से लेकर अन्य रोगों में उपचार के लिए उन्हें दूरदराज स्थित अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है। इतना ही नहीं मजबूरी में उन लोगों को झोलाछाप अथवा निजी चिकित्सक के हाथों शोषण का शिकार भी होना पड़ता है। चिकित्सक के न मिलने और दवाओं के अभाव में कई बार पशुओं की मौत भी हो जाती है।
पद भी पड़े हैं खाली
विभाग की माने तो जमानिया में चार पशुधन प्रसार केन्द्र व एक राजकीय चिकित्सालय चिकित्सक के पद खाली है। इस बाबत मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाक्टर शिवकुमार रावत ने बताया कि नये चिकित्सकों के आते ही खाली पडे जगहों पर उनकी तैनाती कर दी जायेगी।
सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभ
लोगों ने बताया कि पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। जबकि पशुओं को निरोगी बनाए रखने तथा उन्हें उपचार की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए जगह-जगह पशु अस्पतालों की स्थापना भी की गई है। लेकिन चिकित्सकों के पद खाली रहने व पशुधन प्रसार केन्द्र बंद रहने से सरकार की मंशा बेमतलब साबित हो रही है।