पूर्व एशिया के सबसे बड़े गांव गहमर स्थित मनभद्र बाबा मंदिर मनोकामना पूर्ण स्थल के रूप में विख्यात है। यहां पर हर रोज श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है, लेकिन सावन माह में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ता है। सोमवार सुबह से ही जलाभिषेक करने के लिए मंदिर में भक्त पहुंच रहे।
मनभद्र बाबा मंदिर का शिवलिंग भूतल से करीब 2 फीट ऊपर है। भक्तों का कहना है कि यहां आने पर अपार शांति की अनुभूति होती है। यूपी बिहार सहित दूर-दराज के श्रद्धालु मंदिर में आकर दर्शन पूजन करते हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई मनोकामनाएं भगवान शंकर अवश्य पूरी करते हैं।
भव्य शृंगार करता है आकर्षित
सावन मास के दौरान यहां नित्य आने वाले भक्तों द्वारा बाबा का भव्य श्रृंगार किया जाता है। मनमोहक श्रृंगार बरबस ही श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है। पुरुष महिला सहित बच्चे भी बाबा के दर्शन मात्र से ही निहाल हो जाते हैं। मनभद्र बाबा मंदिर के शिवलिंग का श्रृंगार उज्जैन के महाकालेश्वर के तर्ज पर ही किया जाता है।
कई प्रथाएं मंदिर को लेकर प्रचलित
मंदिर के मुख्य पुजारी अरविंद उपाध्याय ने बताया कि मंदिर को लेकर लोगों में आस्था है। मान्यता है कि यहां शिवलिंग स्वयं जमीन से प्रकट हुआ था। जिसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। आज सोमवार को मंदिर में करीब पांच हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने मत्था टेका। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना की।
कर्मनाशा के तट पर बसा है यह मंदिर
एशिया का सबसे बड़ा गांव गहमर गंगा तट पर बसा है। जबकि यह मंदिर उसके दक्षिणार्थ में स्थित कर्मनाशा नदी के तट पर बसा हुआ है। मंदिर समिति एवं स्थानीय लोग श्रद्धालुओं को निःशुल्क प्रसाद का वितरण करते हैं। पूरे सावन मास भर मंदिर में भजन कीर्तन का कार्यक्रम चलता रहता है।
सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें होती हैं पूरी
मंदिर के भक्त अंशु सिंह, शिशु पाल सिंह, लेजी, सुमित, अमन, विवेक, चाहत सिंह आदि ने बताया कि हम हर रोज बाबा मंदिर में पूजा पाठ करने आते हैं, लेकिन सावन के समय में यहां एक अदृश्य शक्ति हमें अपनी और आकर्षित करती है। कहा कि बाबा से सच्चे मन से मांगी गई मन्नतें जरूर पूरी होती हैं।