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हरी सब्जियों के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी से बिगाड़ा किचन का बजट

हरी सब्जियों के दाम आसमान छूने लगे है। व्यापारियों के अनुसार अन्य जनपदों से आने वाली सब्जियों का आवक कम होने के चलते दाम में वृद्धि देखी जा रही है। ऐसे में पहले से ही गैस सिलेंडर, तेल व अन्य खाद्य पदार्थों पर महंगाई की मार झेल रहे लोगों का बजट सब्जियों ने बिगाड़ दिया है। लोगों की थाली से हरी सब्जी गायब होने लगी है।

परवल, बैगन, लौकी, नेनुआ, टमाटर, करैला सहित हरी सब्जियों के दामों में भारी भरकम वृद्धि होने के चलते गरीब तबका सब्जियां खाने से परहेज कर रहा है। ज्यादातर जून व जुलाई माह में हरी सब्जी की बहार बनी रहती है। लोग इन सब्जियों का स्वाद खूब उठाते हैं, लेकिन मौसम के कलाबाजी लेते हीं हरी सब्जियों के दाम आम लोगों की खरीद से बाहर का हो गया है। 

संबंधी विक्रेता गुड्डू, आमीर, हसन, रामप्रवेश आदि ने बताया कि बरसात के दौरान फसलें प्रभावित होती है। वहीं इसके अलावा सब्जियों का झाड़ कम होने से इस समय एक सप्ताह के बाद सब्जियों के रेट में दो गुणा बढ़ोत्तरी हो गई है। महंगी सब्जियों के खरीद करने से गरीब व मध्यम वर्ग के लोग खरीदने से कतरा रहे हैं।

थोक विक्रेताओं ने बताया कि सब्जियों के दाम बढ़ने से खरीद पर भी असर पड़ा है। पाली, पप्पू बेलाल, राज, मनीष, अनिल आदि ने कहा कि सब्जियों के दाम में बढ़ने से खरीदारी करने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इससे पूर्व सब्जियों के दाम कम होने से महंगा दाल नहीं खरीदते हुए सस्ती सब्जियां खाकर अपना पेट भरते हैं। अब सब्जियां भी महंगी होने से गरीब वर्ग के लोगों को अपना पेट भरने की चिंता सता रही है।

सब्जियों के दाम

सब्जियों में मंडियों में हरी सब्जियों के दाम में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आलू 22 रूपया किलो, भिंडी 50, हरा मटर 110, टमाटर 35, गोभी 30, कद्दू 45, करेला 30, नेनुआ 40, लौकी 30, कुदरून 40 रूपया किलो तक बिक रहा है।

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