गाजीपुर जिले में गंगा के खतरा बिंदु पार करने के बाद लगातार जलस्तर में इजाफा जारी है। बाढ़ का पानी लोगों के चौखट को पारकर घरों की ओर रुख कर चुका है। बाढ़ का पानी निचले इलाके में खेतों को डुबो चुका है। फसल डूब चुकी है तो चारे का अभाव हो चुका है।
चारे के अभाव में पशुओं को निचले इलाके में पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। तमाम इलाकों में बाढ़ का पानी फैलने से यातायात के साधनों का अभाव हो गया है। लोग पैदल बाढ़ का पानी पार कर शहर पहुंच रहे हैं। दूसरी ओर बाढ़ का पानी बढ़ने के बाद ग्रामीण इलाकों में स्कूल कालेज भी बंद हो चुके हैं। इसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो गई है।
गंगा में चंबल सहित बांधों का पानी छोड़े जाने के बाद आई बाढ़ में उफान का स्तर एक दिन पूर्व ही खतरा बिंदु पार कर चुका है। शुक्रवार की सुबह छह बजे ही गंगा का जलस्तर खतरे की निशान 63.105 को पार कर गया है। इसके बाद से तमाम निचले इलाकों में गंगा का पानी बढ़ रहा है। अभी भी गंगा एक से दो सेंटीमीटर प्रतिघंटे की गति से बढ़ रही है। गंगा में पानी बढ़ने से रेवतीपुर क्षेत्र सहित तमाम निचले इलाकों के सैकड़ों गांवों में पानी घुसने लगा है तो लाखों बीघा खेत जलमग्न हो गए हैं।
गंगा जलस्तर में लगातार बढ़ाव होने से बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में पानी भर गया है। रेवतीपुर कामाख्या धाम मार्ग, रेवतीपुर रामपुर मार्ग, हसनपुरा रेवतीपुर मार्ग, टौगा रेवतीपुर मार्ग सहित कई सम्पर्क मार्ग पानी में डूब चुके हैं। आवागमन में लोगों को काफी परेशानी हो रही है। गंगा किनारे से बहुत से पशुपालक अपने पशुओं को लेकर सुरक्षित स्थान पर पहुंच रहे हैं। केले की खेती करने वाले किसानों के माथे पर पसीना छूट रहा है।
भाव कम होने के बावजूद केले को तोड़ कर बेचने में लगे हैं। नया पुराना मिलाकर लगभग आठ सौ बीघा केले की खेती हुई है।अभी नया में लगभग पांच लाख पौधे लगे हैं। यदि बाढ़ का पानी और बढकर खेतों में रुक गया तो केले की फसल के साथ साथ किसानों का लगभग एक करोड़ रुपये का नुकसान होगा। वहीं केले के साथ उर्दी, भतुआ, कोहडी व मिर्च, टमाटर के बेहन का भी व्यापक नुकसान हो रहा है।