गाजीपुर जिले (Ghazipur District) में गंगा (Ganges) का स्तर अब चिंताजनक स्तर हो चुका है। सुबह ही गंगा अब खतरा बिंदु को पार कर चुकी हैं। ऐसे में गंगा का बढ़ता जलस्तर लोगों की चिंता को बढ़ा रहा है। तटवर्ती इलाकों (Coastal Areas) से लोगों का पलायन शुरू हो चुका है। एक ओर जहां फसलें डूब चुकी हैं तो दूसरी ओर तटवर्ती इलाकों में चारे का अभाव होना शुरू हो चुका है। ऐसे में आने वाले दिनों में बाढ़ का पानी (Flood Water) लोगों को दुश्वारी देने लगा है। गंगा में उफान के बाद तटवर्ती इलाकों के लोग पलायन को विवश हैं। लिहाजा बाढ़ खतरा बिंदु को पार करने के बाद अब तटवर्ती गांवों में तांडव मचाने लगा है।
प्रमुख मार्गों पर लोगों की आवाजाही बंद होने के साथ ही गांवों तक जाने के लिए नावों की मांग शुरू हो गई है। संपर्क के लिए दूर दराज के गांवों और निचले इलाके में नाव ही अब एकमात्र साधन बचा है। गंगा सुबह खतरा बिंदु को पार करने के बाद कई मार्गों पर आवाजाही बंद हो चुकी है। इसकी वजह से गांव से खेती का कारोबार ही नहीं स्कूलों में आने जाने वाले छात्रों की पढ़ाई भी प्रभावित हो चुकी है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में बाढ़ का पानी अगर उतर भी गया तो निचले इलाकों में भरा पानी लंबे समय तक लोगों को चुनौती देता रहेगा।
गंगा की चुनौती : गंगा में अन्य नदियों से छोड़े गए पानी का असर अब दिखना शुरू हो गया है। सुबह छह बजे ही गंगा का जलस्तर खतरे की निशान 63.105 को पार कर गया। दस बजे गंगा का जलस्तर 63.220 दर्ज किया गया। अभी भी गंगा दो से तीन सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही हैं। इसको लेकर जिला प्रशासन अलर्ट हो गया है। गंगा में पानी बढ़ने से रेवतीपुर क्षेत्र के कई गांवों में पानी घुसने लगा है तो हजारों बीघा खेत जलमग्न होने से खेती किसानी भी पूरी तरह प्रभावित हो चुकी है।
तटवर्ती इलाकों में बढ़ी चिंता : गंगा में बढ़ाव के चलते निचले इलाकों में पानी भर गया है पिछले दिनों आई बाढ़ से इस बार ज्यादा पानी हो गया है। कई गांवों के सम्पर्क मार्ग पर पानी चढ़ गया है। हसनपुरा, बीरऊपुर, नसीरपुर गांव दो तीन तरफ से घिरा हुआ है। शुक्रवार से यहां पर पैदल आवागमन हो रहा है यदि पानी ज्यादा हुआ तो इन गांवों का सम्पर्क कट जाएगा। आगे नाव ही एक सहारा रहेगी।
बाढ़ में सबसे से ज्यादा हसनपुरा, बीरऊपुर, नसीरपुर, अठहठा, नगदिलपुर, रामपुर, नरयनापुर, कल्यानपुर, टौगा, रेवतीपुर प्रभावित रहते हैं। सबसे पहले इन गांवों के करीब गंगा का पानी पहुंचता है। कृषि बाहुल्य क्षेत्र होने से यहां इस समय परवल, केला, कोहड़ी, भतुआ, मूंग के साथ साथ मिर्च, टमाटर का बेहन डाला गया है। फसल तो नुकसान होगी ही साथ ही बेहन के भी समाप्त होने का डर है।
सबसे ज्यादा परेशानी पशुपालकों को होती है किसी के पास पांच तो किसी के पास 50 पशुओं से ज्यादा संख्या है, ऐसे में उनकी परेशानी बढ़ जाती है और चारा की समस्या शुरू हो जाती है। अधिकारियों के मुताबिक हर गांव में बाढ़ चौकी स्थापित है। नेहरू विद्यापीठ इंटर कालेज, गदाधर श्लोक महाविद्यालय रेवतीपुर के साथ जगजीवन राम इंटर कालेज नगसर को राहत शिविर बनाया गया है।