श्रीगणेश चतुर्थी से गणेश महोत्सव का आरंभ होगा। दस दिनों तक मनाया जाने वाला यह महोत्सव गणपति विसर्जन के साथ संपन्न होता है। इन 10 दिनों में भगवान श्रीगणेश को अलग अलग चीजों का भोग लगाया जाता है। मान्यता है कि इन चीजों का भोग लगाने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
भगवान श्रीगणेश के जन्मोत्सव के पहले दिन मोदक का भोग लगाएं। दूसरे दिन बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। तीसरे दिन मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाएं और चौथे दिन केले का भोग लगाना चाहिए। पांचवें दिन मखाने की खीर और छठे दिन मेवे का भोग लगाएं। सातवें दिन नारियल से बने लड्डू का भोग लगाएं। आठवें दिन दूध से बनी मिठाई और नौवें दिन केसर से बनाए श्रीखंड का भोग भगवान गणपति को लगाएं। दसवें दिन विघ्नहर्ता को मालपुए का भोग लगाएं। पूजा के अंतिम दिन तरह तरह के मोदक का भोग लगाएं।
शुभ मुहूर्त में करें श्री गणेश की स्थापना
ज्योतिषविदों का कहना है कि 31 अगस्त को सुबह से चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी और दोपहर 3:22 तक रहेगी। इसलिए दोपहर 3:22 से पहले ही श्रीगणेश की स्थापना कर लें। सुबह 7:30 से 9 बजे के बीच अमृत चौघड़िया में श्रीगणेश की स्थापना कर सकते हैं। इसके बाद 10:44 से 12 बजे के बीच शुभ चौघड़िया में श्रीगणेश जी की स्थापना का श्रेष्ठ मुहूर्त होगा। 12 से 1:30 बजे के बीच राहु काल में श्रीगणेश स्थापना से परहेज करें।
चंद्र दर्शन न करें
गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक प्रतिदिन ॐ गं गणपते नमः का एक माला जाप करें। गणेश जी को दूर्वा और मोतीचूर के लड्डू अर्पित करें और प्रात: व संध्या आरती अवश्य करें। गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन को निषिद्ध माना गया है। इस दिन चंद्र दर्शन करने पर कलंक का सामना करना पड़ता है, यदि चंद्र दर्शन हो जाए तो भगवान श्रीगणेश की आराधना करनी चाहिए। इससे दोष मिट जाता है।