नगर के गोराबाजार स्थित जिला अस्पताल में स्थापित मर्चरी हाउस का संचालन शुरू हो गया है। छह फ्रीजर युक्त इस मर्चरी हाउस में एक साथ 12 शव आसानी से रखे जा सकेंगे। ऐसे में मिश्रबाजार स्थित पुराने जिला अस्पताल में स्थित मर्चरी हाउस से पोस्टमार्टम हाउस तक अब साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी तय नहीं करनी पड़ेगी। अब एक ही किलोमीटर की दूरी तय कर शव को पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाया जा सकेगा। वहीं मृतक के परिजनों को निजी वाहनों को बुक करने के लिए अधिक धनराशि भी नहीं देनी पड़ेगी।
करीब पांच वर्ष पूर्व मिश्रबाजार में संचालित जिला अस्पताल तो गोराबाजार स्थित नए जिला अस्पताल के भवन में स्थानांतरित हो गया था, लेकिन मर्चरी हाउस का स्थानांतरण नहीं हो पाया था। मेडिकल कालेज के संचालन के बाद भी जिला अस्पताल में मर्चरी हाउस का संचालन शुरू नहीं हो पाया था। ऐसे में जिला अस्पताल से शव को सुरक्षित रखने के लिए मिश्र बाजार स्थित पुराने अस्पताल में स्थापित पुराने मर्चरी हाउस तक जाना पड़ता था।
पुन: दूसरे दिन शिनाख्त होने अथवा कानूनी प्रक्रिया पूर्ण होने पर शव को वहां से पोस्टमार्टम हाउस ले जाया जाता था। इधर जो शव शिनाख्त नहीं हो पाते थे, उन्हें तीन दिनों तक रखा जाता था। लेकिन फ्रीजर खराब होने और साफ-सफाई न होने की स्थिति में सड़न और दुर्गंध का सामना करना पड़ता था। यहीं नहीं शव को पोस्टमार्टम हाउस ले जाने और वहां से श्मशान घाट तक ले जाने के नाम पर निजी वाहन चालकों द्वारा 1200 रुपये लिए जाते थे।
ऐसे में इस परेशानी को दूर करने के लिए जिला अस्पताल में ही नए मर्चरी हाउस को स्थापित कराया गया। साथ वहां छह फ्रीजर भी लगाए गए। ऐसे में अब एक साथ 12 शव रखे जा सकेंगे। जबकि मिश्रबाजार होते हुए पूरा शहर भ्रमण कर पुलिस लाइन स्थित पोस्टमार्टम हाउस पहुंचने की दिक्कतों पर अब विराम लग गया है। लावारिस शवों का दाहसंस्कार करने वाले समाज सेवी कुंवर वीरेंद्र सिंह ने बताया कि नए मर्चरी हाउस के संचालन से काफी सहूलियत मिलेगी।
अगर देखा जाए तो पोस्टमार्टम हाउस के पास ही मर्चरी हाउस स्थापित कराया जाता है तो और भी सहूलियत होती। इस संबंध में मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य प्रोफेसर डा. आनंद मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल में स्थापित मर्चरी हाउस का संचालन शुरू हो चुका है।