गाजीपुर में बारिश होते ही जब स्वास्थ्य केंद्र झील के रूप में तब्दील हो जाए तो स्वास्थ्य महकमे पर उंगली उठना स्वाभाविक है। गाजीपुर के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र धर्मागतपुर पर ऐसा ही देखने को मिल रहा है। जहां पिछले 10 सालों से बारिश हो जाने पर पूरा अस्पताल परिसर पानी पानी हो जाता है। जिसके कारण मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात स्वास्थ्य कर्मी बार-बार गुहार लगाकर थक हार चुके हैं।
पिछले 10 सालों से भवन जर्जर
धर्मागतपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के बाद यहां के लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति उम्मीद जगी थी और लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी मिला करती थी। लेकिन पिछले 10 सालों से भवन जर्जर हो जाने के चलते जब भी बारिश होती है। पूरा अस्पताल पानी से भर जाता है। यहां तक कि डॉक्टर के बैठने का चेंबर, दवा रखने का स्थान, ओपीडी सहित मरीजों को सुलाने वाला बेड भी पानी पानी हो जाता है।
डीएम और सीएमओ ने किया था निरीक्षण, तब भी नहीं हुई निजात
सालों से बनी इस समस्या का निरीक्षण पूर्व के जिलाधिकारी के अलावा मुख्य चिकित्सा अधिकारी भी कर चुके हैं, लेकिन किसी भी अधिकारी ने इस समस्या से निजात दिलाने की जहमत नहीं उठाई। जिसके चलते एक बार फिर बारिश होते ही यह स्वास्थ्य केंद्र पानी से भर गया।
छत गिर जाने का बना रहता है हमेशा भय
स्वास्थ कर्मी सौरभ मौर्य ने बताया कि छत से पानी टपक रहा है और हम लोग अपना सामान इधर-उधर बचाते रहते हैं। छत गिर जाने का हमेशा भय बना रहता है। डॉक्टरों को तो छोड़िए मरीजों को बैठने का स्थान भी बारिश में नहीं मिल पाता है। बेड भी भींग जाते हैं।
स्वास्थ्य कर्मी डर के साए में नौकरी
चिकित्सा अधिकारी अजय शर्मा ने बताया कि पहले भी विभागीय अधिकारियों और जिलाधिकारी से इसकी शिकायत कर चुके हैं। वह लोग आकर इसका निरीक्षण भी कर चुके हैं। स्थिति यह है कि यहां पर इलाज करने के जितने भी इंस्ट्रूमेंट हैं, सब पानी की वजह से जंग खा चुके हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि स्वास्थ्य उपकरण जब जंग खा चुके हैं, बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, स्वास्थ्य कर्मी डर के साए में नौकरी करने को मजबूर है, तो लोगों को 'स्वस्थ' स्वास्थ्य सेवा कैसे मिल पाएगी।