जनपद मुख्यालय के गंगा के तट पर बसे बाढ़ प्रभावित गांव में सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं अंतर्गत मूलभूत सुविधाओं को पूरा करने का कार्य किया जाता है। लेकिन सेवराई तहसील क्षेत्र में कुछ ऐसे गांव हैं, जो विकास कार्यों की बाट जोह रहे हैं। यहां के लोग खुद को शापित मानने लगे हैं। मूलभूत सुविधाओं का न होना यहां के लोगों की अब दिनचर्या बन गई है। आए दिन लोग जहां सुविधाओं के अभाव में अपनी जान गवा रहे हैं, तो वहीं केवल चुनाव के दौरान ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि क्षेत्र में लोगों को अपना दर्शन देते हैं।
बाढ़ के बाद से ही अति जर्जर स्थिति में हैं सड़क
जी हां हम बात कर रहे हैं, सेवराई तहसील क्षेत्र के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र बसुका, नसीरपुर, हसनपुरा, अठहठा गांव की। 4 गांवों को जोड़ने वाली बसुका नसीरपुर हसनपुरा मार्ग बाढ़ के बाद से ही अति जर्जर स्थिति में हो गई है, लेकिन कई वर्षों के बाद भी जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और विभागीय अधिकारियों की अनदेखी का खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। करइल क्षेत्र होने के कारण हल्की सी बरसात में ही सड़क पर चलना मुश्किल हो जाता है।
स्कूली बच्चों को होती हैं परेशानी
सबसे ज्यादा परेशानी स्कूल जाने वाले बच्चों व मरीजों को होती है। कभी-कभी विषम परिस्थितियों में सही समय से इलाज उपलब्ध न होने के कारण मरीजों की जान पर भी बन आती है। सेवराई तहसील क्षेत्र से महज 5 किलोमीटर दूर स्थित इन गांव को जोड़ने वाला एक प्रमुख मार्ग आज भी बदहाल स्थिति में है। सड़क के नाम पर महज गिट्टियां व करईल मिट्टी है। सड़कों के बड़े-बड़े गड्ढे लोगों के शरीर को झकझोरते हैं। जिससे लोगों को आवागमन करना दूभर हो गया है। मोटरसाइकिल चालक आए दिन दुर्घटना का शिकार होते हैं।
लोगों ने की शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई
क्षेत्रीय ग्रामीण दीपक राय, कृष्णानंद राय, बृजेश राय, पुष्कर राय, विपिन चौरसिया, अमित ठाकुर, अविनाश चौरसिया, सोनू सिंह आदि ने बताया कि हसनपुरा, नसीरपुर को बसुका से जोड़ने वाली मुख्य मार्ग वर्षों से अति दयनीय स्थिति में है। कई बार क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाई गई लेकिन समाधान ना होने से दुश्वारियां और भी बढ़ गई हैं।