शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित माना गया है। शनिवार के दिन शनिदेव से संबंधित उपाय व पूजा-अर्चना करने से शनिदोष का अशुभ प्रभाव कम होने की मान्यता है। शास्त्रों में सावन के शनिवार का महत्व भी वर्णित है। सावन मास भगवान शंकर को समर्पित माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में शनिदेव को भगवान शिव का परम शिष्य माना गया है। ऐसे में सावन के शनिवार को शनिदेव व भगवान शंकर की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है। शनिदेव व भोलेनाथ की कृपा से जीवन में खुशहाली आती है।
सावन का तीसरा शनिवार कब-
सावन का तीसरा शनिवार 30 जुलाई 2022 को है। इस दिन वरीयान योग बनने से इस दिन का महत्व और बढ़ रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
ये पांच राशियां शनिदोष से पीड़ित
वर्तमान में शनि वक्री अवस्था में मकर राशि में विराजमान हैं। शनि की यह स्थिति जनवरी 2023 तक रहेगी। शनि के मकर राशि में आने से धनु, मकर व मीन राशि पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है। मिथुन व तुला राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनिदोष को कम करने के लिए सावन मास के शनिवार को धनु, मकर, मीन, मिथुन व तुला राशि वालों शनि पूजन करना चाहिए।
इन उपायों से कम होगा शनिग्रह का अशुभ प्रभाव-
सावन मास के शनिवार को भगवान शंकर के साथ शनिदेव की अराधना करें। इसके साथ ही पीपल के पेड़ के समक्ष सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
शनि मंदिर में शनि चालीसा का पाठ करें। शनि ग्रह से संबंधित चीजों का दान करें। शनिदोष को कम करने के लिए गरीबों की अपनी सामर्थ्यनुसार मदद करें। गाय को रोटी खिलाएं।