खुले में शौच मुक्त को लेकर सरकार जहां पूरी तरह से गंभीर होने के साथ ही जगह जगह शौचालयों का निर्माण करा रही है। वहीं बेपरवाह हो चुके रेलवे के जिम्मेदारों के चलते स्वच्छ भारत मिशन पूरी तरह से हवा हवाई साबित हो रहा है।
ताजा मामला गाजीपुर जिले के जमानिया के ताड़ीघाट रेलवे स्टेशन का है। जहां पर पर यात्रियों के लिए दस लाख की लागत से वर्षों पहले तीन शौचालयों का निर्माण कराया गया। लेकिन, आज तक इसका ताला तक नहीं खुला। इसके उपयोग में न होने से अब ये शौचालय जीर्ण शीर्ण अवस्था में पहुंच चुके हैं।
ग्रामीणों ने विभाग पर लगाया लापरवाही का आरोप
गुड्डू यादव, संतोष चौधरी, राकेश कुमार, गुड़िया देवी, रूबी खां, सीमा पांडेय आदि ग्रामीणों ,यात्रियों ने बताया कि स्टेशन पर निर्मित शौचालय के बंद होने के चलते पुरुषों, महिला यात्रियों को विवश होकर खुले में शौच करने को मजबूर होना पड़ रहा है। मुसाफिरों का कहना है कि महकमा जिस तरह से अपने दायित्वों के प्रति बेपरवाह बना हुआ है। उसके चलते यात्रियों को जरूरी मूलभूत सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
बराबर लटका रहता है ताला
यात्रियों ने बताया कि कहने को तो यहां महिला/ पुरुष शौचालय निर्मित है, लेकिन इनका ताला कब खुलता है या इसकी मौजूदा दशा क्या है मौजूदा दशा देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है। लोगों ने बताया कि शौचालय प्रयोग में न होने व बराबर ताला लटकने से शो पीस बन कर रह गए हैं।
जानकारी होने के बावजूद नहीं दिया जा रहा ध्यान
उनका कहना था कि ऐसा नहीं है कि इसकी खबर महकमे के जिम्मेदारों को नहीं है। बावजूद जिस तरह से सरकार व मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ा रहे हैं। वह उनकी ढीली कार्यशैली को दर्शाता है। लोगों ने बताया कि इसके कारण मरीजों,बुजुर्ग महिला,पुरूष,छोटे बच्चों आदि को अपरिहार्य परिस्थितियों में मजबूरी में खुले में शौच को जाना पड़ता है।
संक्रामक रोगों के फैलने का खतरा
इन शौचालयों के पास इतनी गंदगी की कब संक्रामक रोग अपना पैर पसार ले कहा नहीं जा सकता। स्टेशन अधीक्षक सुजित कुमार ने बताया कि सफाई कर्मचारियों की अनुपलब्धता है,इस कारण बंद रहता है। इसके लिए विभाग के आला अधिकारियों को पत्र लिखा गया है।