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ओमप्रकाश राजभर आज कर सकते हैं सपा पार्टी से गठबंधन समाप्त करने का एलान, 'कमल' खिलाने की अटकलें

एमएलसी चुनाव के बाद से ही सपा अध्यक्ष से नाराज चल रहे सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर शुक्रवार को सपा से गठबंधन समाप्त करने का एलान कर सकते हैं। हालांकि उनका कहना है कि फिलहाल वह राष्ट्रपति के चुनाव में सुभासपा के रुख को लेकर अपना पक्ष रखेंगे। 

लेकिन सूत्रों का कहना है राष्ट्रपति चुनाव को लेकर हुई बैठक में सपा अध्यक्ष द्वारा न बुलाए जाने के बहाने राजभर गठबंधन को लेकर बड़ी घोषणा कर सकते हैं। राजभर ने शुक्रवार को सवेरे प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है। इसे लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। दरअसल, राजभर और अखिलेश के बीच तनातनी विधानसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद से ही शुरू हो गई थी। 

चुनाव नतीजों के बाद से ही राजभर सार्वजनिक रूप से सपा अध्यक्ष पर निशाना साधने लगे और यहां तक कह दिया था कि एसी कमरे में बैठकर चुनाव नहीं जीता जा सकता है। दोनों के बीच में अधिक तल्खी हाल में हुए विधान परिषद के चुनाव को लेकर बढ़ गई थी। राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद भेजना चाहते थे, लेकिन अखिलेश ने राजभर के स्थान पर रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को ज्यादा तरजीह दी। 

इससे भी राजभर नाराज हैं। दोनों के बीच खींचतान चल ही रही थी, कि राष्ट्रपति चुनाव को लेकर  विपक्ष के प्रत्याशी यशवंत सिन्हा की मौजूदगी में हुई बैठक में अखिलेश ने राजभर को पूछा तक नहीं और जयंत चौधरी को बुलाकर मंच भी साझा किया। सपा अध्यक्ष की इस सियासी चाल ने आग में घी का काम किया और तभी से राजभर अखिलेश पर खुलेआम हमले बोल रहे हैं। 

राजभर का यह भी कहना है कि बैठक में न बुलाए जाने की वजह जानने के लिए उन्होंने कई बार सपा अध्यक्ष से मिलने की कोशिश भी की, लेकिन अखिलेश ने उनसे बात करना जरूरी नहीं समझा। इसलिए हम राष्ट्रपति चुनाव में अपनी भूमिका अलग रहकर ही तय करेंगे।

भाजपा से निकटता को लेकर भी अटकलें

सपा से तल्खी बढ़ने की वजह राजभर की भाजपा से नजदीकी बढ़ाने की कोशिशें भी मानी जा रही हैं। इससे सपा और सुभासपा के बीच खाई और बढ़ गई है। सूत्रों कहना है कि पिछले कुछ दिनों से राजभर भाजपा के कुछ नेताओं से लगातार संपर्क में हैं। अटकलें तो यह भी है कि राजभर 22 जुलाई के बाद कभी भी दिल्ली जाकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से मिलेंगे। इसके बाद अपनी नई सियासी डगर पकड़ सकते हैं।

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