सैदपुर नगर स्थित निजी चिकित्सालय गर्भवती महिलाओं के लिए काल बनते जा रहे हैं। यहां लापरवाही के कारण आए दिन जच्चा-बच्चा की मौत हो रही है। ताजा मामला बीते शनिवार का है। जहां एक निजी चिकित्सालय में सिजेरियन के बाद महिला की हालत बिगड़ने पर उसे वाराणसी स्थित एक निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। जिसके बाद परिजनों ने रविवार को सैदपुर कोतवाली में नगर स्थित यस चिकित्सालय के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया। जिस पर पुलिस ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए जिला मुख्यालय भेज दिया।
नर्स ने जिला अस्पताल जाने की दी थी सलाह
गाजीपुर जनपद के करंडा थाना क्षेत्र अंतर्गत नौदर गांव निवासी गर्भवती नीतू (26) पत्नी पवन कुमार प्रशव के लिए अपनी ननद आदि के साथ बीते गुरुवार को सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची। यहां उसने ओपीडी में पर्चा कटाकर नर्स तारा मुनि और डॉक्टर प्रमोद को दिखाया। महिला का अल्ट्रासाउंड और ब्लड रिपोर्ट नॉर्मल होने के बाद डॉक्टर ने उसे 2 दिन इंतजार करने की बात कही। इसके बाद नर्स ने गर्भवती के परिजनों को सलाह दिया, कि गर्भवती का कद छोटा है और बच्चा बड़े साइज का है। उनके घर से जिला अस्पताल भी काफी करीब है। इसलिए वह किसी निजी चिकित्सालय में ना जाकर गर्भवती को जिला चिकित्सालय में दिखाएं।
परिजनों ने चिकित्सालय पर लगाया लापरवाही का आरोप
यहां से गर्भवती को नगर स्थित यस चिकित्सालय में भर्ती कर लिया गया। सिजेरियन से महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। कुछ देर बाद ही महिला की हालत खराब होने लगी। जिसके बाद चिकित्सालय की सलाह पर महिला को एंबुलेंस से वाराणसी स्थित किसी निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। जहां बीते शनिवार को देर शाम महिला ने दम तोड़ दिया। जिसके बाद परिजनों ने यस चिकित्सालय पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए, सैदपुर थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया। इसके बाद से ही पुलिस घटना की जांच में जुट गई है।
ननद ने कहा पीछा कर जबरदस्ती कराया था भर्ती
गर्भवती की ननंद साधना ने बताया कि सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से वह जिला चिकित्सालय जा रही थी। तभी पीछे से दो बाइक पर सवार दो महिलाएं और दो पुरुष ने आकर हमारे वाहन को रोक दिया। इसके बाद दबाव बनाकर नीतू को अपने चिकित्सालय में भर्ती कर सिजेरियन कर दिया। फिर उन्होंने नीतू को ना जाने कौन सी एक सुई लगाई, जिसके बाद उसे खांसी आने लगी और सांस फूलने लगी। हालत बिगड़ने पर उसे अपने परिचय से वाराणसी स्थित एक निजी चिकित्सालय में भेज दिया। जहां नीतू की मौत हो गई। बीते 20 दिनों में नगर के निजी चिकित्सालयों में जच्चा बच्चा के मौत की यह चौथी घटना थी ।
एक लाख 23 हजार हो गए खर्च, फिर भी नहीं बची जान
ननंद ने कहा इसके बावजूद यस चिकित्सालय ने हम से 40 हजार रुपए लिए और वाराणसी के निजी चिकित्सालय में हमें 83 हजार जमा करने पड़े। जिन पैसों को मुझे अपने मजदूरी करने वाले भाई भतीजों से लेकर देना पड़ा। 3 वर्ष पूर्व ही नीतू की शादी हुई थी। यह उसका पहला गर्भ था।
थानाध्यक्ष तेज बहादुर सिंह ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम चल रहा है। रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।