प्रदेश की योगी सरकार का परिषदीय विद्यालयों में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने का दावा शिक्षा क्षेत्र सादात में कोरा ही नजर आ रहा है। मिशन कायाकल्प योजना के बावजूद ब्लाक अंतर्गत तमाम ऐसे परिषदीय विद्यालय भी हैं, जहां बेहतर सुविधाएं तो दूर, आवश्यक मूलभूत सुविधाओं का भी टोटा है। इसका जीता जागता उदाहरण प्राथमिक विद्यालय मखदुमपुर है। यहां पढ़ने वाले बच्चे शौचालय के अभाव में खुले में शौच को जाने को विवश हैं और स्वच्छ भारत का नारा देने वाले जिम्मेदार अधिकारी व जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने बैठे हैं।
प्राथमिक विद्यालय मखदुमपुर परिसर में बना वर्षों पुराना शौचालय जर्जर होकर इस्तेमाल योग्य नहीं रह गया है। शौचालय का दरवाजा टूटा है तो अंदर सीट भी खराब हो गयी है। बालक-बालिका शौचालय को कौन कहे, यहां तो दिव्यांग शौचालय तक नहीं बना है। ऐसे में छात्र-छात्राएं विवश होकर खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। यही नहीं विद्यालय परिसर में बाउंड्रीवाल भी नहीं है।
विद्यालय में बाउंड्रीवाल न होने से जानवरों के आतंक के साथ-साथ स्थानीय ग्रामीणों की भी चहल कदमी होती रहती है। ऐसे में शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। विद्यालय में वर्तमान सत्र में 194 छात्र-छात्रा पंजीकृत हैं, लेकिन स्कूल परिसर में बेहतर सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक रामउग्रह सिंह यादव ने बताया कि समय-समय पर विभागीय व ब्लाक स्तरीय अधिकारियों को स्कूल से जुड़ी समस्याओं के बारे में मौखिक व लिखित रूप से अवगत कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।
शौचालय के अभाव में छात्र-छात्राओं के साथ अध्यापकों को भी समस्याएं झेलनी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि बीते अक्टूबर-नवम्बर माह से ही शौचालय के लिए गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया है, लेकिन आगे का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों के अभिवावकों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए विद्यालय में शीघ्र शौचालय निर्माण की मांग की है।