ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व को सहेजे मरदह के महाहर धाम पूर्वांचल में श्रद्धालुओ के आस्था एवं विश्वास का केंद्र है। अद्वितीय शिवलिंग की स्थापना राजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए किया था। यहीं वह तालाब है जहां राजा दशरथ ने श्रवण कुमार को शब्दभेदी बाण मारा था और श्रवण के माता पिता ने उन्हें श्राप दिये थे। इसके बाद ब्रह्मा के आर्शीवाद से राजा दशरथ ने श्राप मुक्ति और पुत्रप्राप्ति के लिए शिवलिंग की स्थापना कर पूजन किया। फलस्वरूप राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ।
सावन के आगाज के साथ महाहर धाम में हर दिन भारी भीड़ जुटती है। क्षेत्र के प्रख्यात महाहर धाम में पहुंचकर श्रद्धालु भगवान से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना कर रहे हैं। स्थान शिवभक्तों के लिए बेहद आस्था का केन्द्र बना हुआ है। सावन के प्रत्येक सोमवार को यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। वहीं, पूरे सावन शिवभक्तों के आने का सिलसिला जारी रहता है।
सावन के महीने में ही कांवड़ यात्रा निकाली जाती है। किंदवंतियो के अनुसार त्रेतायुग में महाहर धाम स्थल पर घनघोर जंगल था, अयोध्या से महाराज दशरथ शिकार खेलने के लिए आते थे। अंधे पर माता -पिता को कंधे पर कांवर में लेकर जाते श्रवण कुमार के सरोवर में पानी भरते ही मृग के भ्रम में दशरथ ने बाण चला दिया और सरोवर में पानी ले रहे श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई।
पुत्र वियोग में उनके माता -पिता ने श्राप देकर दम तोड़ दिया। सरवनडीह ग्राम पंचायत स्थित है श्रवण कुमार के नाम पर ही रखा गया। महाहर धाम परिसर में प्राचीन शिवमंदिर के पास स्थित पोखरे के बारे में मान्यता है कि दशरथ स्थापित प्राचीन शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि सच्चे मन से दर्शन पूजन से हर मनोकामना पूर्ण होती है। सावन महीने में सोमवार के दिन दर्शन ,पूजन, दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक से विशेष पुण्य मिलने की मान्यता है।
शिव मंदिर के पुजारी गुलाब दास ने बताया कि सच्चे मन से इस मंदिर में पूजा अर्चना से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सावन में दर्शन विशेष महत्व है। महाहर धाम पर एक माह तक मेले का आयोजन रहता है।