विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से वीरपुर पंप नहर किसानों के लिए अनुपयोगी साबित हो रही है। यह नजर साढ़े बारह किलोमीटर लंबी है लेकिन केवल दो किमी तक ही पानी आता है। इससे किसानों को सिंचाई का लाभ नहीं मिल पाता है। कई जगहों पर नहर को पाटकर रास्ता बना दिया गया है। शिकायत के बावजूद नहर की सफाई नहीं होती है। इसके चलते पूरी क्षमता से नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता है।
करीब 2800 हेक्टेयर क्षेत्रफल में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लगभग पांच दशक पूर्व 50 क्यूसेक क्षमता वाली साढ़े बारह किलोमीटर लंबी वीरपुर से बांठा तक वीरपुर पंप नहर का निर्माण कराया गया। मुख्य नहर से संबंधित बंशी माइनर, आमी माइनर, तरांव माइनर तथा टोडरपुर माइनरों का निर्माण भी कराया गया। इस नहर की सफाई के नाम पर लाखों रुपये खर्च होता है। इसके बावजूद न तो मुख्य नहर के टेल तक और न ही माइनरों की पूरी सफाई हो सकी है।
नहर की सफाई में लापरवाही
एनएच-31 पर नहर पुलिया के उत्तर तेतरिया से टेल (बांठा) तक सिर्फ झाड़-झंखाड़ उगे हैं। सफाई कराने में अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं। नरसिंहपुर के पास नहर को पाटकर रास्ता बना दिया गया है। यही नहीं, धनेठा के पास नहर का पानी तो पहुंचता नहीं बल्कि गांव के नाबदानों का गंदा पानी उसमें ही जमा हो रहा है। कुछ स्थानों पर तो नहर से मिट्टी निकालकर ग्रामीण निजी उपयोग के लिए ले जाते हैं।
कुछ किसानों के खेतों में ही पहुंचता है पानी
फिलहाल 50 क्यूसेक क्षमता वाली नहर इन दिनों 30-40 क्यूसेक क्षमता से ही चल रही है। इसके चलते कुछ किसानों के खेतों में ही पानी पहुंच पाता है। वीरपुर के किसान भीम राय, बदौली अदाई के शिवानंद गोंड़, इसी गांव के विजय शंकर कुशवाहा व जनार्दन राजभर का कहना है कि नहर में पानी नहीं आता है। निजी नलकूप से ही सिंचाई होती है। एक तरफ नहर में पानी नहीं है, वहीं दूसरी तरफ बदौली समेत कई जगहों पर लगे राजकीय नलकूप खराब पड़े हैं। किसान सिंचाई के लिए परेशान हैं। वहीं लो वोल्टेज की समस्या भी है। इस समय धान की नर्सरी तैयार है। सिंचाई की व्यवस्था न होने से परेशानी हो रही है।
जांच कर की जाएगी कार्रवाई
नहर की सफाई मनरेगा के माध्यम से कराने का जिम्मा कुछ ग्राम प्रधानों ने लिया है। जहां सफाई की आवश्यकता होगी, वहां पर विभाग कराएगा। धनेठा के पास नाबदानों का पानी नहर में आने पर इसकी जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।