सवा दो लाख आबादी पर बना रेवतीपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को दर्जा मिले लगभग 12 वर्ष से अधिक हो गया, लेकिन आज भी यह अस्पताल बीमार है। बीमार अस्पताल में डाक्टर व कर्मचारियों के बैठने तक का सही इंतजाम नहीं है। ऐसे में मरीजों का इलाज तो रामभरोसे ही है। बारिश में छत से पानी टपकने के बाद अस्पताल में बैठना मुश्किल हो जाता है।
बड़ी आबादी वाले इस गांव में मरीजों के इलाज के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र था। मरीजों की संख्या को देखते हुए वर्ष 2010 में गांव निवासी बसपा के तत्कालीन विधायक पशुपति नाथ राय ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा स्वीकृत कराते हुए नए भवन बनवाने के लिए भूमि पूजन भी किया था। इसका जिम्मा राजकीय निर्माण निगम को सौंपा गया था, लेकिन कुछ कार्य बाद में रोक दिया गया। सीएचसी का दर्जा तो मिल गया, लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ीं। भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है। वर्षा में छत से पानी टपकने लगता है।
दरवाजा व खिड़कियां टूटी हुई हैं। दवा रखने और डाक्टर व स्टाफ के बैठने की भी जगह नहीं रहती है। इमरजेंसी एएनएम के ट्रेनिंग सेंटर में चलता है, जबकि ओपीडी अस्पताल में चलता है। विकास खंड की सवा दो लाख से अधिक की आबादी इस सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर निर्भर है, जिसमें अकेले रेवतीपुर की आबादी 70 हजार के आस पास है। सुहवल, नगसर व रेवतीपुर थाने का मेडिकल भी यहीं पर होता है। मुख्य चिकित्साधिकारी डाक्टर हरगोविंद सिंह ने बताया कि कार्ययोजना तैयार कर शासन को भेजा गया है। बजट मिलने के बाद ही कुछ हो सकता है।