स्वास्थ्य सेवाएं भी योगी सरकार की प्राथमिकता में हैं। यह और बात है कि ग्रामीण इलाके में यह लाचार हैं। संसाधन सहित चिकित्स्कों का अभाव है। सीएचसी भदौरा में 10 के सापेक्ष मात्र तीन ही चिकित्सक हैं। चार पीएचसी पर आठ के सापेक्ष मात्र चार डाक्टर सेवाएं दे रहे हैं।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भदौरा में विशेषज्ञ डाक्टरों का अभाव है। फिजिशियन, चेस्ट विशेषज्ञ, स्किन विशेषज्ञ, हड्डी विशेषज्ञ, पैथोलाजिस्ट आदि यहां तैनात ही नहीं हैं। आपरेशन के लिए सर्जन, स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ, इएनटी व दंत एवं नेत्र रोग विशेषज्ञओं का अभाव है। सबसे ज्यादा परेशानी उन प्रसूताओं को होती है, जिन्हें ऑपरेशन के लिए रेफर कर दिया जाता है। यहां हर्निया, पथरी एवं अपेंडिक्स के भी ऑपरेशन की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में उपचार के लिए रोगियों को बाहर ही जाना पड़ रहा है। निजी अस्पतालों में अप्रशिक्षित लोगों के हाथों सर्जरी से जिंदगी से भी हाथ धोना पड़ रहा है।
पीएचसी पर भी चिकित्सक नहीं
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) भदौरा के आलावा चार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) भी डाक्टरों का अभाव झेल रहे हैं। क्षेत्र में 29 उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, मगर 20 पर ही एएनएम की तैनाती है। ऐसे में नौ उप स्वास्थ्य केंद्र एएनएम विहीन हैं। यहां रोगियों का उपचार कौन करता है, यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
यहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी पहले से ही है। इसकी भरपाई के लिए कई बार पत्राचार किया गया है। अधिकारियों को इस संबंध में पुनः अवगत कराया जाएगा।