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बारिश न होने से किसान परेशान, कहा- धान की नर्सरी सूख रही

बरसात का महीना आ चुका है, लेकिन अभी तक क्षेत्र में बरसात नहीं हुई। एक माह की बारिश देरी ने किसानों के माथे पर बल डाल दिया है। किसानों की धान की नर्सरी सूखने की कगार पर जा पहुंची है। खेत की जुताई कराने के बावजूद किसान धान की रोपाई के लिए पानी को जूझ रहे हैं। स्थिति यह हो गई है कि किसान अब बाजरे की खेती को मजबूर हैं।

बरसात में हो चुकी है 1 महीने की देरी

मौसम विज्ञान विभाग अनुसार, क्षेत्र में बरसात की डेट 18 जून माना गया है। इसे बीते लगभग 1 महीना हो चुका है, लेकिन खेतों में वर्षा जल का नामोनिशान नहीं है। जिसके कारण धान की रोपाई के लिए वर्षा का इंतजार कर रहे किसानों की खेती पिछड़ जा रही है। वहीं, तेज धूप के कारण खेतों में तैयार धान की नर्सरी भी सूखने की कगार पर जा पहुंची है। सिंचाई के लिए पानी के अभाव में अब किसान सावन माह में बोई जाने वाली बाजरे की खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। बाजरे की खेती को लेकर भी किसानों के मन में डर बना हुआ है कि कहीं ज्यादा वर्षा हो गई तो बाजरे की खेती भी डूब जाएगी।

पंप नहर चलने के बाद भी खेतों में नहीं चढ़ रहा पानी

​​​​​​​क्षेत्र के देवकली पंप नहर कैनाल के माध्यम से बड़ी संख्या में खेतों की सिंचाई होती है। हालांकि यह नहर भी किसानों के धान की खेती में ज्यादा सहयोग नहीं कर पा रही है। नहर के पानी के लिए होड़ मची है। जिसके कारण ग्रामीण जगह-जगह से उसे बांधकर पहले अपने खेतों में धान की रोपाई करने में लग गए हैं। नहर के अगले हिस्से में पानी का दबाव कम हो गया है। इससे खेतों में नहर का पानी भी पर्याप्त मात्रा में नहीं चढ़ रहा है। जबकि सैदपुर नगर स्थित देवकली पंप नहर कैनाल इस समय अपनी पूरी क्षमता से संचालित किया जा रहा है।

खेतों में सूख रही है धान की नर्सरी

​​​​​​​क्षेत्र के किसान दूधनाथ कुशवाहा, नरेश प्रजापति, त्रिभुवन कुशवाहा, महेंद्र प्रजापति, हरिशंकर सिंह कुशवाहा आदि ने बताया कि पिछले साल जून माह के अंत से ही धान की रोपाई शुरू हो गई थी। इस बार वर्षा नहीं होने के कारण अब तक धान की रोपाई नहीं शुरू हो पाई है। नहर के पानी में प्रेशर इतना कम है कि वह भी खेतों में नहीं चढ़ पा रहा है। हम लोग अपने खेतों की जुताई कराकर वर्षा जल का इंतजार कर रहे हैं। इस दौरान हमने किसी तरह अपने धान की नर्सरी को जिंदा कर रखा है। वह भी अब धीरे-धीरे सूख रही है। अगर कुछ ही दिनों में वर्षा नहीं हुई तो इस वर्ष के धान की खेती चौपट हो जाएगी।

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