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खतरे की पाठशाला, 23 कमजोर भवनों में पढ़ाई करने को मजबूर बच्चे, अभिभावक चिंतित

जमानिया में डेढ़ साल बाद भी जर्जर हो चुके परिषदीय स्कूलों की नीलामी सहित उनके ध्वस्तिकरण का काम पूरा नहीं हो सका है। कमजोर भवन में पढ़ाई कर रहे बच्चों को लेकर अभिभावक चिंतित हैं। वहीं हर समय हादसे का डर भी सताता रहता है।

28 जर्जर परिषदीय स्कूलों में सिर्फ पांच की नीलामी

शिक्षा महकमे के अनुसार जमानियां में कुल 28 विभिन्न परिषदीय स्कूल निस्प्रयोजित चिन्हित किए गये थे, लेकिन अब तक मात्र पांच विद्यालय की नीलामी और ध्वस्तिकरण को अंजाम दिया जा सका है। शेष भवनों के मूल्यांकन काफी अधिक होने से नीलामी में कोई शामिल नहीं हुआ। जिस कारण प्रक्रिया को निरस्त कर दिया गया।

लागत अधिक होने से नहीं पूरी हो पाई प्रक्रिया

तहसील के तहत 261 विद्यालय हैं, जिनमें 170 प्राथमिक, 38 जूनियर, 53 कंम्पोजिट विद्यालय हैं। जिनमें करीब 36, 420 छात्र छात्राएं पढ़ते हैं। जर्जर विद्यालयों की नीलामी और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी न होने का कारण स्कूल की अनुमानित लागत काफी अधिक होना बताया जा रहा है। मालूम हो कि ध्वस्तिकरण के बाद इन जगहों पर नए कमरों का निर्माण कराया जायेगा। ताकि सुरक्षित तरीके से शैक्षणिक कार्य हो सके। अभी भी बहुत ऐसे परिषदीय स्कूल हैं, जहां नौनिहाल जान हथेली पर रख पढ़ने को विवश हैं।

डीएम ने डेढ़ साल पहले बनाई थी तीन सदस्यीय टीम

महकमे के अनुसार शासन के निर्देश पर डेढ़ साल पहले डीएम ने तीन सदस्यीय टीम बनाई थी। जिन्होंने विद्यालयों के भवनों का मूल्यांकन और धनराशि निर्धारित कर इसकी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी। मुन्ना पांडेय, मुरली कुश्वाहा, कृष्णा गुप्ता, राधेश्याम राय, सच्चिदानंद राय और जयप्रकाश ने मांग की निर्धारित धनराशि को कम कर जर्जर स्कूल भवनों की नीलामी और ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया पूरी की जाए।

समीक्षा के बाद पूरी होगी नीलामी प्रक्रिया

बीएसए हेमंत राव ने बताया कि चिन्हित जर्जर भवनों के निलामी एवं उनके ध़वस्तीकरण को लेकर मातहतों संग समीक्षा की जा रही है। बहुत जल्द ही इस प्रक्रिया को‌ पूरा कर लिया जायेगा।

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