लखनऊ जल्द ही बायोटेक साइंस का हब बनेगा। वन ट्रिलियन इकॉनामी बनाने के लक्ष्य में जुटी राज्य सरकार ने इसके लिए लखनऊ स्थित बायोटेक पार्क को नई सुविधाओं और संसाधनों से लैस करने का फैसला किया है। इसके लिए 10 करोड़ रुपये केंद्र सरकार से मांगे गए हैं। सरकार को उम्मीद है कि इससे राज्य के करीब 1000 युवाओं को रोजगार मुहैया हो सकेंगे।
दरअसल, लखनऊ स्थित बायोटेक पार्क की स्थापना 21 मई 2003 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा की गई थी। लखनऊ शहर को 3 जुलाई 2002 में लखनऊ विश्वविद्यालय में भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की मौजूदगी में हुई 89वीं इंडियन साइंस कांग्रेस में बायोटेक सिटी घोषित किया गया था। लखनऊ के बायोटेक पार्क ने पूरी तरह काम करना वर्ष 2007 में शुरू किया। हैरत की बात है कि लखनऊ में तमाम साइंस शोध संस्थान होने के बावजूद इस पार्क का वह स्वरूप नहीं हो सका जो हैदराबाद स्थित बायोटेक पार्क का रहा। ऐसा नहीं है कि केंद्र सरकारों ने इसे अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए धनराशि नहीं दी लेकिन पिछली सपा-बसपा सरकारों में इसका उचित इस्तेमाल नहीं हुआ।
प्रदेश को वन ट्रिलियन इकॉनामी का लक्ष्य तय करने की कमान संभाल रहे नियोजन सचिव आलोक कुमार कहते हैं-इसे जल्द ही नए रंगरूप के साथ पुनः विकसित किया जाएगा। इसमें तमाम नई सुविधाओं जैसे रिसर्च के लिए आधुनिक लैब या फिर पशुओं पर नई वैक्सीन आदि की रिसर्च के लिए जानवरों की उपलब्धता आदि पर काम किया जा रहा है।
इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर 10 करोड़ रुपये मांगे हैं। इसी के साथ सरकार रिसर्च संस्थाओं से पीपीपी मोड पर अनुबंध कर नए स्टार्टअप के जरिये उच्चस्तरीय प्रयोगशालाओं को भी स्थापित किया जाएगा। सभी सुविधाएं और पीपीपी मोड पर निवेश के साथ उम्मीद है कि राज्य के करीब एक हजार युवाओं को रोजगार मुहैया होगा। साथ ही संस्थान के तमाम ढांचागत नियमों में भी बदलाव किया जाएगा।