सैदपुर क्षेत्र में विद्यालय संचालकों और शिक्षा विभाग की मिलीभगत से शिक्षा के अधिकार कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। विद्यालयों ने फर्जी रजिस्ट्रेशन और एडमिशन कर विद्यालय की आरक्षित सीटों को फुल कर दिया। इससे आरटीई के तहत कई स्कूलों में बच्चों का एडमिशन नहीं हो पाया। यही नहीं, कई ऐसे स्कूलों में भी एडमिशन अलॉट कर दिया गया है, जो 3-4 वर्ष पहले ही बंद हो चुके हैं। कुछ स्कूल आरटीई अंतर्गत सेलेक्ट बच्चों के अभिभावकों से पैसे लेकर एडमिशन कर रहे हैं।
नहीं जारी हुई लिस्ट, रुका है एडमिशन
जिला बेसिक शिक्षा विभाग ने अभी तक सेलेक्ट हो चुके 525 बच्चों की दूसरी लिस्ट नहीं जारी की है। इससे उनके अभिभावक अब पैसे खर्च कर बच्चों का एडमिशन कराने को मजबूर हैं। कुछ बच्चों को सीट अलॉट किया गया, लेकिन दूसरी लिस्ट जारी नहीं हुई। इस कारण से विद्यालय विद्यार्थियों का एडमिशन नहीं कर रहे हैं। बच्चों की पढ़ाई लिखाई बाधित हो रही है। अभिभावकों को दौड़ भाग करनी पड़ रही है।
तीन वर्ष से खाते में नहीं आया पैसा
कुछ स्कूलों में आरटीई के तहत बच्चों का एडमिशन किया जाता है। अभिभावकों ने बताया कि स्कूल के खाते में तीन वर्ष से पैसा ही नहीं भेजा गया है। जिसके कारण क्षेत्र के निजी विद्यालय अब इस योजना अंतर्गत गरीब परिवारों के बच्चों का एडमिशन लेने में कतरा रहे हैं। इससे क्षेत्र के सैकड़ों बच्चों का भविष्य अंधकारमय बना हुआ है। कई विद्यालय संचालकों ने बताया कि बीते 3 वर्ष से ना तो हमारे और ना ही अभिभावकों के खाते में इस योजना तहत पैसा भेजा गया।
कई निजी विद्यालयों ने किया है फर्जीवाड़ा
अपने लाभ के लिए क्षेत्र के कई निजी विद्यालयों ने इसमें बड़ा फर्जीवाड़ा किया है। इन विद्यालयों ने अपने अपने विद्यालय का ऑप्शन डाला और योजना के तहत कई फर्जी आवेदनों के माध्यम से विद्यालय सेलेक्ट करा रखा है। स्कूलों ने विभाग के साथ मिलीभगत कर बिना किसी को पढ़ाए आरटीई की सीट फुल दिखाकर कमाई कर रहे हैं।
3 वर्षं पहले बंद हो चुके विद्यालयों को किया अलॉट
सैदपुर नगर के वार्ड संख्या 10 निवासी संजय जायसवाल ने बताया, "अपने बच्चे अभिनयन और अनन्या के लिए आरटीई योजना के तहत ज्ञान भारती स्कूल सलेक्ट किया था। बाद में पता चला कि विद्यालय 2 वर्ष पूर्व बंद हो चुका था। इसलिए बच्चों का अलॉटमेंट कैंसिल कर दिया गया। बाद में हमें मजबूर होकर महंगे निजी विद्यालय में एडमिशन कराना पड़ा।"
सैदपुर निवासी राकेश सिंह यादव बताया, "मेरे बच्चे पवन और अमन के एडमिशन के लिए सन फ्लावर पब्लिक स्कूल अलॉट हुआ है। जब एडमिशन के लिए गया तो पता चला कि स्कूल 3 वर्ष पहले ही बंद हो चुका है।" तरायें बेलहरी निवासी चंद्रभान ने बताया कि उनकी बेटी सुहानी को बाबा मारखी स्कूल अलॉट हुआ है, लेकिन एडमिशन नहीं हो रहा है।
स्कूल में नहीं लगती है हाजिरी
क्षेत्र के खरौना गांव निवासी दीपक यादव ने बताया, " बेटी अनुष्का काे आरटीई के अंतर्गत सिधौना स्थित राज पब्लिक स्कूल अलॉट हुआ है। स्कूल को डायरी, आईडी कार्ड, बेल्ट आदि का पैसा दे दिया है। बावजूद इसके बेटी बोलती है कि पापा जब सबकी हाजिरी लगाई जाती है। तब क्लास में मेरा नाम नहीं बोला जाता है।" महरुमपुर गांव निवासी राकेश यादव ने बताया, "उन्होंने आरटीई के तहत अपने बच्ची आर्या का एडमिशन सैदपुर के सेंट जेवियर स्कूल में 4 हजार रुपये देकर कराया।" अहलादपुर बहेरी गांव निवासी अशोक ने बताया कि आरटीई योजना अंतर्गत उनकी बेटी दीपाली को निलेश पब्लिक स्कूल अलॉट हुआ था। बार-बार दौड़ भाग के बाद भी जब एडमिशन नहीं हुआ तो दूसरे स्कूल में एडमिशन कराना पड़ा।
विभाग पूरी तरह से मौन
वहीं, इस बात पर विभाग पूरी तरह से मौन है। क्षेत्र में 500 से ज्यादा बच्चों की लिस्ट अभी तक जारी नहीं हुई है। वहीं, कुछ बंद स्कूलों को अलॉट कर दिया गया। इस पर सैदपुर बीईओ से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया।