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मानसून की दस्तक से ही कांपा कबीरचौरा-पिपलानी कटरा मार्ग

बनारस को विकास के रास्ते पर सरपट दौड़ाना चाह रहा है। लेकिन विभागों की कार्यप्रणाली इसमें पलीता लगा रही है। गुणवत्ता और समयबद्धता किसी भी मानक पर ये खरे नहीं उतर रहे हैं जबकि जनप्रतिनिधियों और आला अफसरों का जोर इन्हीं पर है। इसका प्रत्यक्ष प्रमाण कबीरचौरा-पिपलानी कटरा मार्ग है।

पहले सीवर का काम लेट हुआ तो महीनों लोगों ने जाम का दंश झेला। क्षेत्रीय लोगों ने गुबार से रोग पाले तो दुकानदारी चौपट की। रही सही कसर बरसात में पूरी होती दिख रही है। मानसून की महज दो बारिश में ही पांच दिन में इस मार्ग पर बुधवार को तीसरी बार सड़क घंस गई। यही नहीं एक मकान में दरार भी पड़ गई। रहवासियों की पेशानी पर बल पड़ गया है कि यही स्थिति रही तो घरों को बचाना मुश्किल होगा। दहशत जान-माल के खतरे की भी है। पिछले हफ्ते गुरुवार को इस मार्ग पर तीन बड़े गड्ढे हो गए थे। मंगलवार देर शाम शंभो माता मंदिर के सामने सड़क धंस गई तो बुधवार सुबह इसके नजदीक दूसरा गड्ढा मुंह खोल बैठा। कुल मिला कर यह मार्ग पांच स्थानों पर अब तक घंस चुकी है। जबकि अभी मानसून की शुरुआत भर है।

जल निगम गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के जिम्मेदार चलताऊ बयान देकर पल्ला झाड़ ले रहे हैं। कार्रवाई के नाम पर रिपोर्ट बनेगी। फिर उसका स्थलीय निरीक्षण होगा। विशेषज्ञ की राय ली जाएगी। फाइलें टेबल-दर-टेबल परिक्रमा करेगी। अंतत: कुछ दिनों बाद विभाग की किसी आलमारी में दीमक का पेट भरते अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। फिर करोड़ों का प्रस्ताव शासन के पास जाएगा, पैसा आएगा। कथित तौर पर सड़क बनेगी और फिर वही गुणवत्ता और समयबद्धता का संकट लोग झेलेंगे। जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के जीएम फणींद्र राय ने कहा कि जहां सड़क धंसी है उसे भर दिया गया है। मकान में दरार पड़ने की जानकारी मिली है। इसकी रिपोर्ट तैयार कराई जाएगी और समाधान किया जाएगा।

मकानों की नींव को खतरा

सड़क खोखली होने से क्षेत्र के एक दर्जन से ज्यादा मकानों की नींव कमजोर होने का खतरा मंडरा रहा है। व्यापारी अनंत लाल जायसवाल ने कहा कि बुधवार जब दुकान खोली तो दो जगह दरार दिखी। दुकान के नीचे नाली बैठ गई है अब तो मकान की नींव में पानी जा रहा है। 28 जून 2022 को निर्माण कार्य के दौरान कबीरचौरा पिपलानी कटरा मोड़ पर क्रेन पलट गई थी जिसमें दो लोग घायल हो गए थे।

30 फीट गहराई में बिछाई गई सीवर लाइन

गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई ने 10 करोड़ रुपये से शाही नाले से जुड़े कार्य के लिए सीवर लाइन बिछाई थी। मार्च 2022 में प्रोजेक्ट हुआ था। यह लाइन 30 फीट गहराई में बिछाई गई थी। लेकिन गड्ढों को पाटने में सतर्कता नहीं बरती गई। लोग बताते हैं कि बालू भरकर ऊपर से डामर व महीन गिट्टी से चिकना कर दिया गया। अब बारिश में बालू बैठ रही है तो गड्ढे बन रहे हैं।

24 घंटे गुजरते हैं छोटे-बड़े वाहन

इस मार्ग से रात-दिन छोट-बड़े वाहन गुजरते हैं। विभिन्न मंडियों तक का पहुंच मार्ग होने के कारण रात में कई ट्रकों से सामान आते-जाते हैं। ऐसे में मंडलीय और जिला महिला अस्पताल भी इसी मार्ग से मरीज पहुंचते हैं। खास यह भी कि आए दिन वीवीआईपी विश्वनाथ मंदिर जाने-आने के लिए भी इस मार्ग का इस्तेमाल करते हैं।

बोले स्थानीय लोग

कबीर रोड व्यापार मंडल के संस्थापक अध्यक्ष शिव प्रकाश ने कहा कि जल्दबाजी में सड़क बनाने के कारण सड़क धंस रही है। जल निगम की लापरवाही की सजा हम भुगत रहे हैं। दीपक वैश्य, गोविंद प्रसाद केशरी ने कहा कि पूरी सड़क फिर से बनानी चाहिए। सड़क बनाने के मानकों का खुला उल्लंघन हुआ है। लोगों की नींद उड़ी है, अभी पूरी बरसात बाकी है डर लग रहा है न जाने क्या होगा। चाय विक्रेता विक्की ने कहा कि सड़क खोखली हो गई है। केवल गड्ढा भरने से काम नहीं चलेगा।

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