हवाओं का रुख बदलते ही गुरुवार को आसमान से आग के गोले बसरने लगे। पूरे दिन चली पछुआ हवाओं ने गर्मी की तपीश और अधिक बढ़ा दिया। पारा बढ़ने से शहर से लेकर गांव तक सड़के वीरान रही। लोग बेहद जरूरी काम से ही अपने घरों से निकले।
बाहर निकलने वालों ने भी धूप से बचने के लिए सिर से लेकर पूर चेहरे को गमछा और तौलिया से ढ़क रखा था। गुरुवार को जनपद का अधिकतम तापमान 42 और न्यूनतम तापमान 25 डिग्री सेल्सियस था। सुबह के समय करीब आठ बजे तक पुरवा हवा चली। लेकिन 10 बजे के बाद से हवाओं का रुख बदलते ही चिलचिलाती धूप और लू के थपेडों ने पूरे दिन लोगों को बेहाल कर दिया।
चट्टी-चौराहों एवं बाजारों में दिन के नौ-दस बजे से ही वीरानगी दिखी, तो सड़कों पर लोगों की आमद भी कम रही। जरूरी कार्यों से सड़कों पर निकले लोगों के लिए तौलिया का ही सहारा रहा। तौलिए से मुंह बांधे बाइक एवं साइकिल सवार शरीर को झुलसा देने वाली तपन एवं चल रही पछुआ हवाओं के साथ दो -दो हाथ करते दिखे।
अप्रैल माह के शुरू में ही इस तरह की गर्मी देख आगे आने वाले मई एवं जून के महीनों की कल्पना मात्र से ही मन सिहरन पैदा हो जा रही है। आग उगलती इस गर्मी से केवल आमजन ही नहीं बल्कि पशु- पक्षी भी परेशान रहे। तपती दोपहर में सिवान में पानी और छांव तथा चारे की तलाश में भटकते नील गायों के झुंड को देख सहसा अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रकृति के इस रुख से हर कोई परेशान है।