गाजीपुर में आगामी 5 मई को होने वाली पसमांदा परिवार व पसमांदा मुसलमानों के हित में होने वाली सभा की रूपरेखा तय की गई। कार्यक्रम किस तरह अच्छे से अच्छा किया जाए इस बाबत पसमांदा परिवार के सदस्यों से विचार विमर्श किया गया। इस अवसर पर डॉ. इकबाल अन्सारी ने अपना विचार रखते हुए बताया कि आज पसमांदा समाज को एक नया दिशा देने के लिए पुनविचार करने की आवश्यकता है, जिसके लिए समय समय पर कार्यक्रम होने चाहिए जो पसमांदा समूह को आगे बढ़ाने के लिए बल शक्ती प्रदान करेगा।
अपनी विचारधारा को फैलाने के लिए सभी महापुरषों ने अखबार व मैग्जीन का सहारा लिया है। पिछड़ा वर्ग हुंकार के संपादक एडवोकेट रामानन्द गौतम ने कहा कि आजादी से पहले के चिन्हित पसमांदा और आजादी के बाद के चिन्हित पसमांदा समाज की स्थिति 70 साल बाद भी उसी तरह है। पसमांदा मुस्लिम मोर्चा के जिला संयोजक फैयाज शाह ने कहा कि इस कार्यक्रम को सफल करने की समस्त जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। जिसे जीतोड़ मेहनत कर अंजाम दिया जाएगा।
समाज को नई दिशा देने की कोशिश
लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. बालेश्वर विक्रम ने कहा कि विमर्श की मिशनरी तरीके से ले कर चलना पड़ेगा और इसके लिए अपने मजबूत इरादों के साथ पसमांदा समाज के ऐतिहासिक महापुरुषों को याद करने की जरूरत है। समकालीन सोच के संपादक रामनगीना कुशवाहा ने कहा कि हलचलों से आपकी पहचान बनती है जो पसमांदा के लिए अत्यंत जरूरी हैं।
नई बहस से नया हल आएगा
नौजवान व कम्युनिस्ट सोच से ओतप्रोत शहादत हसन मंटो ने कहा कि आपको भगतसिंह जैसे क्रांतिकारी सोच रखनी पड़ेगी। तब जा कर सन्तानत पर चोट लगेगी। पसमांदा पहल के प्रचार प्रभारी नेहाल अंसारी ने कहा कि पसमांदा आज जाग गया है, जिसका असर चुनाव में देखने को भी मिला है। पसमांदा पहल के सहयोगी युवा कवि व लेखक मनोज कुमार ने कहा कि पसमन्दगी से निजात पाने के लिए वैज्ञानिक तथा यथार्थवादी सोच एव शिक्षा की जरूरत है इससे ही पसमांदा समाज का विकास होगा।