वर्ष 1995 में अस्तित्व में आए सकलडीहा विधानसभा की सीट पर अब तक गैर भाजपा विधायकों का कब्जा रहा है। इसके पूर्व आजादी से 1995 तक यह धानापुर विधानसभा रहा और तब यहां ज्यादातर कांग्रेसियों का कब्जा रहा। बहरहाल चुनाव की तिथि की घोषणा के बावजूद अभी तक बसपा छोड़ किसी भी दल ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नही की है। लेकिन कयास यह है कि सपा वर्तमान विधायक प्रभुनारायण सिंह यादव व भाजपा पिछले चुनाव में रनरअप रहे सूर्यमुनि तिवारी पर दांव लगा सकती है।
वर्ष 1995 में अस्तित्व में आए सकलडीहा विधानसभा चुनाव में सपा के प्रभु नारायण सिंह यादव ने समता पार्टी के शिवकुमार सिंह को हराया था। 2001 के विधानसभा चुनाव में प्रभु बसपा प्रत्याशी रहे सुशील सिंह को महज 38 वोटों से हराकर दोबारा विधायक बने। 2007 के विस चुनाव में बसपा के सुशील सिंह ने लगभग 4800 मतों से प्रभु को शिकस्त दी। 2012 में सुशील ने निर्दल प्रत्याशी के रूप में एक बार फिर प्रभु को शिकस्त दे दी। 2017 के चुनाव में सुशील के सैयदराजा विस में जाने के बाद प्रभु भाजपा प्रत्याशी सूर्यमुनि तिवारी को हराकर तीसरी बार विधायक बने।
निर्वाचन आयोग ने चुनाव आचार संहिता लागू कर चुनावी तिथि की घोषणा कर दी है। बसपा ने अपने प्रत्याशी जयश्याम त्रिपाठी की घोषणा भी कर दी है। लेकिन दो प्रमुख पार्टियों सपा व भाजपा ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। कयास है कि भाजपा पिछले रनरअप व लगातार क्षेत्र में सक्रिय रहे सूर्यमुनि तिवारी व सपा वर्तमान विधायक प्रभु नारायण पर ही अपने दांव लगाएगी।जातिगत आंकड़ों पर गौर करे तो विस में सबसे अधिक यादव मत करीब 65000 हैं।
इसके बाद अनुसूचित जाति के 50 हजार, ब्राम्हण व क्षत्रीय 35-35 हजार व मुस्लिम 30 हजार के करीब हैं। यही मुस्लिम वोट निर्णायक मत होते हैं। जो पहले कांग्रेस व बाद में सपा की झोली में आते रहे हैं। राजभर व मौर्या के 18-18 हजार वोटों पर भाजपा दावा करती रही है। इसके अलावा चौहान, गोंड, खरवार, खटीक, निषाद, बनिया, नाई व लोहार मत भी 10-10 हजार के करीब हैं। जिनपर सभी अपना हक जताते रहे हैं। विस में त्रिकोणीय मुकाबला दिखने के आसार हैं। असली तस्वीर प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही साफ हो पाए।