क्षेत्र में लगातार एक सप्ताह से अधिक दिनों तक कोहरा पड़ने का दुष्प्रभाव दिखने लगा है। आलू के पौधे झुलसा रोग की चपेट में आ गए हैं। इससे किसानों के चेहरों पर चिता की लकीरें दिखने लगी हैं। कृषि विज्ञानियों ने किसानों को फसलों के बचाव के लिए समय-समय पर दवा का छिड़काव करने की सलाह दी है।
इस वर्ष बरसात अधिक होने से खेतों में जलजमाव की समस्या के चलते आलू की बोआई काफी विलंब से हुई। मौसम की मार के चलते आलू की अगेती खेती नहीं हो पाई थी। इलाके में करीब पांच हजार बीघे से अधिक रकबे में आलू की बोआई की गई है। अब आलू में विकास का समय चल रहा है। इसी बीच लगातार गलन व पाला से आलू की पौधों पर झुलसा रोग का प्रकोप नजर आने लगा है। किसान मनोज राय डबलू, अमित पटेल, सर्वदेव पटेल, भोला उपाध्याय आदि ने बताया कि लगातार मौसम खराब होने से यह स्थिति पैदा हुई है। दवा का छिड़काव कराया जा रहा है। इस रोग के लगने से आलू की पैदावार पर असर पड़ेगा।
ऐसे करें फसलों का बचाव
कृषि विज्ञान केंद्र आंकुशपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. जेपी सिंह बताया कि सर्द मौसम और पाला से सबसे अधिक नुकसान आलू की फसल को होता है। कोहरा पड़ने पर एक किलोग्राम प्रति एकड़ में मेंकोजेब व 100 ग्राम प्रति एकड़ में मेटोलोक्सील 30 का छिड़काव करें। साथ ही हल्की सिचाई कर सकते हैं।
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