साथ जीने मरने का वादा कर उसे निभाने की कहानी वैसे तो अक्सर फिल्मों में ही मिलती है। लेकिन चंदौली के नियामताबाद के भरछा गांव में रियल लाइफ में भी रविवार की सुबह देखने को मिली। पत्नी के वियोग में पति भी चल बसा। दोनों की अर्थी एक साथ निकली। इससे परिजनों में शोक की लहर दौड़ गई। दोनों का अंतिम संस्कार रामनगर स्थित श्मशान घाट पर किया गया।
भरछा गांव निवासी 72 वर्षीय श्यामलाल राम की 70 वर्षीया पत्नी दासी देवी काफी दिनों से लकवा से पीड़ित थी। उनकी सेवा श्यामलाल खुद ही करते थे। रविवार की सुबह करीब साढ़े सात बजे दासी देवी की हालत गम्भीर हो गई। इलाज के लिए श्यामलाल कहीं ले जाने की तैयारी में ही थे कि दासी की मौत उनके सामने ही हो गई।
पत्नी की मौत से श्यामलाल को सदमा लग गया। उस समय घर पर उनका इकलौता बेटा अजय भी नहीं था। वह किसी रिश्तेदार के यहां गया था। इधर श्यामलाल मौत का समाचार रिश्तेदारों को देने के लिए फोन कर रहे थे। इसी बीच बेहोश होकर गिर पड़े। परिजन डॉक्टर को बुलाकर उनके इलाज के लिए लाए लेकिन तब तक उनकी भी मौत हो चुकी थी।
इस तरह की क्षेत्र में दूसरी घटना
भरछा गांव में पत्नी के वियोग में पति की मौत क्षेत्र की दूसरी घटना है। इससे पूर्व 23 अप्रैल 2020 को विकासखण्ड के बरहुली गांव में भी पत्नी के वियोग में पति की मौत हुई थी। इसमें सेवानिवृत्त रेलकर्मी 70 वर्षीय पराहु राम की पत्नी 69 वर्षीया सत्ती देवी की मौत हो गई। परिजन उसे दाह संस्कार के लिए ले जा रहे थे। गांव से कुछ दूर वे निकले ही थे कि पत्नी के वियोग में पराहु राम की भी मौत हो गई थी।