दो वर्ष पहले करीब 228 करोड़ की लागत से सीसी तकनीक से बनी बिहार को जोड़ने वाली 38.600 किलोमीटर लंबी नेशनल हाईवे जगह-जगह से दरकने लगी है। इसकी जानकारी होने के बाद भी संबंधित विभाग बेपरवाह बना हुआ है। मरम्मत न होने के कारण सड़क और जर्जर होने की आशंका बढ़ गई है।
सीसी तकनीक से इस मार्ग के निर्माण के समय से ही क्षेत्रीय लोग मानकों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे है लेकिन जांच के नाम पर अधिकारियों की तरफ से कोरम ही पूरा किया जाता रहा। पड़ोसी राज्य को जोड़ने वाली यह महत्वपूर्ण सड़क दशकों तक बदहाली के दौर से गुजरती रही। मार्ग निर्माण की जिम्मेदारी पहले उत्तर प्रदेश राज्य सड़क प्राधिकरण (उपसा) की थी। लगातार दयनीय होती जा रही सड़क की दशा के चलते तत्कालीन शासन ने उपसा से जिम्मेदारी लेकर निर्माण और मरम्मत की जिम्मेदारी पीडब्ल्यूडी को दे दी थी।
इसके बाद वर्ष 2016 में सरकार ने इसके नव निर्माण और चौड़ीकरण के लिए कैबिनेट के जरिए भारी भरकम बजट स्वीकृत किया ताकि इसकी बदहाली को दूर किया जा सके। विभागीय उदासीनता के कारण यह मार्ग आज भी कई जगहों पर वाहनों के दबाव के कारण बीच-बीच में विभिन्न जगहों पर दरक रहा है। यही नहीं कई जगहों पर पुलिया भी काफी दिनों से क्षतिग्रस्त पड़ी हुई है जो कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है।
यही नहीं मार्ग के बीच और किनारों पर सुरक्षित संचालन के लिए पेंट की बनाई गई सफेद पट्टी के निशान भी अधिकतर जगहों पर दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस कारण धुंध के इस समय में रात के समय पता ही नहीं चलता कि मार्ग का किनारा कहां तक है। लोगों का कहना है कि दरक रही नेशनल हाईवे की मरम्मत के नाम पर खाली जगहों पर महज केमिकल डालकर उसे भरने का कोरम पूरा किया जाता है। क्षेत्रीय लोगों ने मांग किया है कि मार्ग के इतनी जल्दी जवाब देने के लिए एक कमेटी बनाकर इसकी जांच कराकर दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
कोट
दरक रही सड़कों की वजह जानने के लिए मौके पर जल्द ही मातहतों को भेजा जाएगा। इसके साथ ही जल्द ही इन जगहों की मरम्मत कराई जाएगी।