कोरोना के लक्षण वाले व टीकाकरण से वंचित लोगों को ढूंढने के लिए 24 जनवरी से डोर-टू-डोर अभियान शुरू कर दिया गया। यह अभियान 29 जनवरी तक चलाया जाएगा, ताकि समय रहते कोरोना की रोकथाम की जा सके। पोलियो की तर्ज पर दस्तक अभियान चलाया जा रहा है।
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहित एएनएम को निर्देश दिया गया है कि वह घर-घर जाकर कोरोना के लक्षणों वाले रोगियों की पहचान कर उनकी जांच कराएं। पाजिटिव आने पर उन्हें होम आइसोलेट करें और उनके बारे में गांव व मोहल्ले की निगरानी समितियों को सूचना दें। उन्हें मेडिकल किट उपलब्ध कराएं। उनके परिवार व संपर्क में आए बाहर के लोगों की भी जांच कराई जाए। इससे संक्रमण की रोकथाम में मदद मिलेगी। साथ ही ऐसे लोगों की भी तलाश की जाए, जिन्होंने अभी तक कोरोनारोधी टीका नहीं लगवाया है। उन्हें प्रेरित कर बूथों पर भेजें। यदि कोई व्यक्ति बूथ तक जाने में असमर्थ हो तो उसके घर जाकर टीका लगाएं। साथ में दो वर्ष तक के बच्चों को भी चिह्नित किया जाएगा, जो नियमित टीका से वंचित रह गए हैं।
डोर-टू-डोर अभियान चलाने के लिए जिले में एक हजार से अधिक टीमें लगाई गई हैं। एक टीम में एक आंगनबाड़ी और एक आशा कार्यकर्ता शामिल हैं। पांच टीम पर एक सुपरवाइजर की नियुक्ति की गई है, जो अपने टीम की निगरानी के साथ उसकी रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को प्रेषित करेंगे।
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को को दी गई है ट्रेनिग
एसीएमओ डा. केके वर्मा ने बताया कि अभियान शुरू होने के पूर्व सभी ब्लाकों की आशा, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और एएनएम को ट्रेनिग दी गई, ताकि अभियान सुचारू रूप से चल सके। उन्हें यह भी बताया जाएगा कि जो लोग कोविड जांच या कोरोनारोधी टीका लगवाने से मना करें, उनकी सूची विभाग को सौंपे। विभाग के अधिकारी उनके घर जाकर उन्हें कोविड जांच कराने या टीका लगवाने के लिए प्रेरित करेंगे।
बुजुर्गों पर रहेगी विशेष नजर
डा. केके वर्मा ने बताया कि इस अभियान में 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों पर विशेष नजर रहेगी। इन लोगों को बूस्टर डोज लगाई जा रही है। जो लोग बूस्टर या किसी भी डोज से वंचित होंगे, उन्हें टीकाकरण के लिए प्रेरित किया जाएगा। साथ ही कोरोना संक्रमण की रोकथाम में टीकाकरण व कोविड जांच के महत्व को भी समझाया जाएगा।