गाजीपुर जिले में मंगलवार की शाम बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। भींगने से लोग बचते रहे। बारिश से ठंड बढ़ गई। उधर, किसानों की खेती-बारी भी इससे प्रभावित हुई। यदि बारिश हल्की हुई तो नुकसान कम, लाभ अधिक होगा। तेज बारिश होगी तो नुकसान अधिक होगा।
कृषि विज्ञान केंद्र पीजी कालेज द्वारा जारी आने वाले पांच दिनों के मौसम पूर्वानुमान के अनुसार बादल छाए रहेंगे तथा 29 से 30 दिसंबर को बूंदाबांदी या मध्यम बारिश होने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञ डा. कपिल के अनुसार अधिकतम तापमान 20 से 25 डिग्री सेंटीग्रेड व न्यूनतम तापमान 10 से 11 डिग्री सेंटीग्रेड के बीच रहने की संभावना है तथा पश्चमी हवा औसत 10 से 12 किलोमीटर प्रति घंटा से चलने की उम्मीद है। कोहरा रहने की भी संभावना है। उन्होंने बताया कि किसान अभी सिचाई करने की योजना बना रहे हैं तो रुक जाएं। पशुओं को ठंड से बचाने का उचित प्रबंध करें। बदली के मौसम में सरसों, आलू आदि की फसल में कीट व रोग लगने की आशंका बढ़ जाती है, इसलिए किसान फसलों की सही से निगरानी करें।
सड़कों पर लगा पानी
सैदपुर : सुबह ठंड से मिली राहत दोपहर बाद गायब हो गई और बूंदाबांदी से गलन बढ़ गई। बारिश के चलते सड़कों पर सियापा छा गया। लोग शाम को शीघ्र ही घर को निकल लिए। बारिश के चलते सड़क कीचड़युक्त हो गई, जिससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। खानपुर : सुबह के समय हल्का कोहरा छाया हुआ था कुछ देर बाद तो कोहरा छट गया, लेकिन सर्द हवा का सिलसिला जारी रहा।
सुबह सर्दी के कारण लोग घरों से कम ही बाहर निकले। दिन में बारह बजे के बाद हल्की धूप के दर्शन हुए लेकिन उसके बाद फिर बादल छा गए। खेत-खलिहानों से किसान एवं स्कूल कोचिग से निकले बच्चे भींगते हुए अपने घरों की ओर दौड़ने लगे। देवकली: क्षेत्र के देवकली, पियरी, बासूचक, रामपुर माझां, जेवल पहाड़पुर, भितरी, धुवार्जुन, मौधिया व देवचंदपुर सहित समीपवर्ती गांवों में बरसात हुई। गांव व बाजारों में स्थित टूटी सड़कों पर जलजमाव होने से आवागमन प्रभावित हुआ।
सब्जी के पौधों को नुकसान
भांवरकोल : हल्की बूंदाबांदी को किसानों ने अधिक फायदेमंद तथा कम नुकसानदेह बताया। सब्जी के पौधों को नुकसान होगा। गेहूं, चना, मसूर की फसलों के लिए लाभप्रद बताया, जबकि आलू, मटर, अरहर, सरसों व टमाटर की फसलों के लिए नुकसानदेह बताया। जिन खेतों में नमी के कारण अभी बोआई नहीं हो सकी है, उन खेतों की बोआई में अब और विलंब होने की आशंका बढ़ गई है। ऐसे मौसम में पशुपालकों को भी अपने पशुओं को खिलाने व उनके रख-रखाव में भी परेशानी होगी।