टेलीकॉम कंपनियों का कॉल और इंटरनेट का रिकॉर्ड दो वर्ष तक सुरक्षित रखने के आदेश से पुलिसिंग सुधरेगी। अब अपराधियों की जन्मकुंडली खंगालना आसान होगा। उनकी गतिविधियों के बारे में पता लगाना पुलिस के लिए मुश्किल नहीं होगा। अब इंटरनेट कॉलिंग और सोशल नेटवर्किंग साइट्स की पड़ताल में भी पुलिस को मदद मिलेगी।
सीओ एसटीएफ नवेंदु सिंह ने बताया कि टेलीकॉम कंपनियों का कॉल और इंटरनेट का रिकॉर्ड दो वर्ष तक सुरक्षित होने से पुलिसिंग में मदद मिलेगी। शातिर अपराधी वारदात के बाद किसी दूसरे शहर में छिप जाते हैं। जैसे प्रयागराज और प्रतापगढ़ के अपराधी वारदात के बाद मुम्बई और गुजरात में शरण ले लेते हैं। पकड़े जाने पर उनका आपराधिक इतिहास खंगलाना मुश्किल होता था। पुलिस को सिर्फ एक साल की ही कॉल डिटेल मिलती थी। ऐसे में एक साल पहले की गतिविधियों के बारे में जानकारी नहीं मिलती थी। अब अपराधियों की धरपकड़ के बाद उनकी जन्मकुंडली आसानी से खंगाली जा सकती है।
बताया जा रहा है कि इसका सबसे ज्यादा फायदा पुराने हाईप्रोफाइल मामलों की जांच में होगा। कई बार प्रमुख केसों की जांच सीबीसीआईडी या सीबीआई को दी जाती है लेकिन जब तक दूसरी एजेंसी जांच शुरू करती है तबतक साक्ष्य मिट चुके होते हैं। एक साल बाद कॉल डिटेल भी नहीं मिल पाती थी। स्थानीय पुलिस की डिटेल से ही काम चलाना पड़ता है। इसी तरह पुराने हत्या जैसे संगीन अपराध की अग्रिम विवेचना में भी कॉल डिटेल नहीं मिल पाती थी। अब नए नियम से पुलिस समेत अन्य जांच एजेंसियों का सर्विलांस सिस्टम मजबूत होगा।