पॉश मशीन से खाद बिक गई लेकिन गोदाम से बाहर नहीं निकली। बिकने के बाद एक सप्ताह के भीतर ही पॉश से वापस लौट गई। सरकार ने नकेल कसी तो कालाबाजारियों ने अद्भुत प्रयोग करना शुरू कर दिया। अब सरकार ने इससे निपटने के लिए गुप्त निगरानी की दोहरी व्यवस्था कर दी है। उधर, सासाराम में दो विक्रेताओं पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। छपरा में भी गुप्त टीम ने जांच की है।
राज्य में खाद की कालाबाजारी रोकने के लिए सरकार डाल-डाल चल रही है तो इस व्यापार में लिप्त व्यवसायी पात-पात चल रहे हैं। सरकार ने पॉश मशीन से बिक्री को जरूर कर दिया तो इसका भी तोड़ कालाबाजारियों ने निकाल लिया। सरकार केवल ब्रिकी का रिकार्ड देखती है। लिहाजा व्यापारी ब्रिकी करते हैं और डिलीवरी नहीं देते। दोबारा उसे दो दिन में ही मशीन से ही वापस मंगा लेते हैं।
जांच में थोक विक्रेताओं को भी जद में लिया गया तो ऐसी अद्भुत जानकारी मिली। यह संभव है कि रिटेलर खाद बिक्री नहीं कर पाने के कारण वापस कर दे। लेकिन यह एक-दो बार संभव है। विक्रेताओं ने ऐसा तीन महीने में सौ से अधिक बार किया है। सबसे अधिक पूर्णिया, बेगूसराय, भागलपुर में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि विभाग इन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं कर रहा है लेकिन मामलों में कार्रवाई की जा रही है।
उधर, खाद को लेकर जिलों में चल रही कुछ ऐसी ही परेशानी को देखते हुए कृषि विभाग ने दो स्तरीय जांच की व्यवस्था की है। पहले जिले के कृषि पदाधिकारी से जांच करायी जाती है। साथ में गुप्त जांच को टीम जिलों में जाती है। अगर जिले से मिली रिपोर्ट से मुख्यालय की रिपोर्ट में अंतर हुआ तो जिले के अधिकारी पर भी कार्रवाई होगी।